बौंसी(बांका)
गजब! आज पूरे देश में जहां आसमान छूते प्याज की कीमतों की वजह से मारामारी हो रही है वही बिहार के बांका जिले का एक ऐसा भी गांव है जहां के लोग कई पीढ़ियों से प्याज का स्वाद तक नहीं चखा है।
दरअसल बांका जिले के पंजवारा के सीमावर्ती धोरैया प्रखंड क्षेत्र के चलना पंचायत अंतर्गत कुमरडीह बारी टोला के ग्रामीणों ने करीब दस पीढ़ियों से प्याज और लहसुन का स्वाद नहीं चखा है। यहां के ग्रामीण मांस और मदिरा का भी सेवन नहीं करते हैं। इसके पीछे कारणों की पड़ताल करने पर गांव के ग्रामीणों ने बताया कि पहले यहां वंश वृद्धि नहीं होती थी। जन्म लेने के साथ ही यहां संतान मर जाते थे। फिर एक दिन यहां आए एक साधु-महात्मा के कहने पर इन लोगों ने प्याज-लहसुन और मांस-मदिरा का सेवन बंद कर दिया।
गजब! आज पूरे देश में जहां आसमान छूते प्याज की कीमतों की वजह से मारामारी हो रही है वही बिहार के बांका जिले का एक ऐसा भी गांव है जहां के लोग कई पीढ़ियों से प्याज का स्वाद तक नहीं चखा है।
इसके बाद यहां वंश में धीरे-धीरे वृद्धि होने लगी और साधु महात्मा का कथन सही हुआ। ग्रामीण राम यादव ने बताया कि यह परंपरा 10 पीढ़ियों से चली आ रही है। हमारे पूर्वज कबीर पंथ को मानने लगे और आज तक यह परंपरा कायम है। उन्होंने बताया कि यहां की लड़कियां ब्याह कर दूसरे के घर जाती है तो वह भी प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करती है। ग्रामीणों का मानना है कि यदि कोई भूलवश मांस का सेवन कर लेता हैतो उन्हें कुछ ना कुछ बीमारी अवश्य हो जाती है। यही वजह है कि इस गांव के ग्रामीण आज तक प्याज लहसुन एवं मांस मदिरा का सेवन नहीं करते हैं।