रायपुर
सुरक्षा बल (Security Force) के जवानों को अपना दुश्मन समझने वाले नक्सली (Naxalite) की जान जब खतरे में पड़ी तो उसके साथ छोड़कर भाग गए. ऐसे में जवानों ने ही नक्सली की मदद की और उसकी जान बच सकी. मामला छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के घोर नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा (Dantewada & Sukma) और सुकमा जिले के बॉर्डर का है. जंगल में घायल मिले नक्सली को डीआरजी (DRG) के जवानों ने अस्पताल पहुंचाया. ये नक्सली खुद की बिछाई जाल में फंस गया था. मुसीबत में पड़ता देख जब साथी छोड़कर भाग गए तो जवानों ने उसकी मदद की.
दंतेवाड़ा पुलिस (Dantewda Police) से मिली जानकारी के मुताबिक बीते 31 अगस्त की शाम को डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) के जवान सर्चिंग के लिए सुकमा बॉर्डर एरिया में निकले थे. इसी दौरान नागलगुड़ा पहाड़ी इलाके में कुछ संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी लगी. नक्सली (Naxalite) वहां जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए स्पाइक होल लगा रहे थे. जवानों को आता देख नक्सली वहां से भागने लगे. इसी बीच नक्सली ग्राम कमेटी पार्टी का अध्यक्ष भीमा पिता मड़कम हिड़मा (30) उसी स्पाइक होल में फंस गया, जिसे उसने जवानों के लिए बिछाया था. भीमा को फंसा देख उसके साथ भाग गए.
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक भीमा का दाहिना पैर बुरी तरह जख्मी है. पैर में लोहे के सरिया और नुकीले पत्थरों के जख्म हैं और सूजन भी है. घायल अवस्था में पड़े नक्सली को जवानों ने इसके बाद जवानों ने उसे कांधे में उठाकर पहाड़ से नीचे उतारा और शनिवार की देर रात दंतेवाड़ा जिला अस्पताल भर्ती कराया. डॉक्टर उसका इलाज कर रहे हैं. डॉक्टरों के अनुसार जंग लगे लोहे की छड़ से जख्म गहरा और हड्डियों तक पहुंच गया.
बता दें कि सुरक्षा बल के जवानों को फंसाकर घायल करने के लिए नक्सली जंगल और रास्तों में बड़े गड्ढे खोदकर वहां लोहे की नुकीले रॉड, कांटे, कांच के टुकड़े और नुकीले पत्थर लगा देते हैं. गड्ढे को ऊपर से पत्ते और धूल से ढंक दिया जाता है. ऐसे गड्ढों पर सर्चिंग पर निकले जवान गिरकर घायल होते हैं. नुकीले सरिया, कांटे से कई बार बुरी तरह जख्मी हो जाते हैं.