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खत्म नहीं IDBI बैंक की मुश्किल, घाटा बढ़कर 5763 करोड़ हुआ

नई दिल्ली
 

भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के स्वामित्व वाले आईडीबीआई बैंक को दिसंबर 2019 में खत्म तीसरी तिमाही में 5,763 करोड़ रुपये का भारी घाटा हुआ है. हालांकि बैंक का कहना है कि नए टैक्स प्रावधानों की वजह से यह घाटा हुआ है और एसेट क्वालिटी में सुधार हो रहा है.

आईडीबीआई को LIC ने जबसे खरीदा है, इसमें सुधार के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. बैंक ने मंगलवार को कहा कि 31 दिसंबर 2019 को समाप्त हुई तीसरी तिमाही में नेट लॉस काफी बढ़ गया. आईडीबीआई बैंक ने बताया कि पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में उसका नेट लॉस 4,185 करोड़ रुपये था.  

बैंक ने एक बयान में कहा, 'दिसंबर तिमाही में नए टैक्स प्रावधान लागू किए गए जिससे 6,273 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.'

, 'आईडीबीआई बैंक ने कहा, 'इस एक बार के अतिरिक्त प्रभाव को छोड़ दें तो बैंक को चालू तिमाही में 5,763 करोड़ रुपये के घाटे के बदले 418 करोड़ रुपये का लाभ होगा.' हालांकि बैंक की नेट ब्याज से आय आलोच्य तिमाही में 13 फीसदी बढ़कर 1,532 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 1,357 करोड़ रुपये था.

इसके अलावा, बैंक की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए या फंसा हुआ कर्ज) और नेट एनपीए अनुपात में सुधार हुआ.

नेट एनपीए 31 दिसंबर 2019 को घटकर 6,805 करोड़ रुपये हो गया जोकि 31 दिसंबर 2018 को 21,360 करोड़ रुपये और 30 सितंबर 2019 को 7,919 करोड़ रुपये था.  

हालांकि, घाटे के बढ़ने के बावजूद बैंक के कई हालात में सुधार हो रहे हैं. बैंक को उम्मीद है कि जल्दी ही वह रिजर्व बैंक के प्राम्प्ट करेक्ट‍िव एक्शन (PCA) ढांचे के दायरे से बाहर हो जाएगी जिसके तहत इसके कर्ज वितरण पर आंश‍िक तौर पर रोक लगाई गई है. बैंक के एमडी और सीईओ राकेश शर्मा ने कहा कि चौथी तिमाही में बैंक को 2,500 करोड़ रुपये के फंसे कर्ज वसूली की संभावना है. हाल में बैंक ने 2255 करोड़ रुपये एस्सार स्टील से वसूले हैं.

पिछले साल ही एलआईसी ने आईडीबीआई  मे 51 फीसदी की हिस्सेदारी ली है. पिछले साल के अंत में DBI बैंक को संकट से उबारने के लिए सरकार ने उसमें 9,296 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का निर्णय लिया है. यह पूंजी सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) द्वारा मिलकर दी जाएगी. 

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