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कोरोना वायरस के इलाज और रोकथाम में रोड़ा बने तो खानी पड़ेगी जेल की हवा

आगरा
कोरोना वायरस की रोकथाम में अगर कोई रोड़ा बना तो उसे जेल की हवा खानी पड़ेगा। वायरस संक्रमित संदिग्ध मरीज की सूचना छिपाने, जांच नहीं कराने, स्वास्थ्य विभाग की टीम का सहयोग नहीं करने पर महामारी (एपीडेमिक) एक्ट के सेक्शन-2 व 3 में आईपीसी की धारा 188 के तहत एफआईआर होगी।

आगरा के जिलाधिकारी प्रभु नारायन सिंह ने बताया कि आगरा के कैंट स्थित वायरस से संदिग्ध महिला के परिवार ने शुक्रवार को जांच के लिए पहुंची टीम का सहयोग नहीं किया। पुलिस बुलानी पड़ी। तब जाकर संदिग्ध महिला व परिवार के लोगों को अस्पताल में भर्ती किया जा सका।

इस मामले में कोविड-19 संदिग्ध महिला के पिता जो रेलवे में काम करते हैं उनके विरुद्ध विभागीय व कानूनी कार्रवाई के लिए आगरा रेल मंडल प्रबंधक को पत्र भेजा है। उन्होंने सरकार की गाइडलाइन का पालन नहीं किया।

जिलाधिकारी ने बताया कि महामारी रोकथाम संबंधी आदेश का पालन नहीं करना अपराध है। महामारी एक्ट में आईपीसी की धाराओं के तहत संदिग्ध महिला रोगी व असहयोग करने पर पिता के विरुद्ध कार्रवाई होगी।

संदिग्ध महिला इटली में हनीमून मनाकर मुंबई और फिर बंगलूरू होते हुए आगरा आई थी। पति में कोरोना वायरस की पुष्टि होने के बाद भी परिवार के लोगों ने महामारी की रोकथाम में सहयोग नहीं किया। शुक्रवार को पुलिस बल के सहयोग से संदिग्ध महिला को एसएन के आईसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) की लैब में भेजे गए महिला के सैंपल की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। दूसरा सैंपल लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) को भेजा गया है। उसके परिवार में पिता, मां व भाई-बहन समेत आठ सदस्यों के सैंपल की जांच निगेटिव आई है।

महामारी की रोकथाम में सहयोग नहीं करने पर रेलवे अधिकारी व वायरस ग्रसित संदिग्ध महिला रोगी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का यह प्रदेश में पहला मामला होगा।

डीएम प्रभु एन सिंह ने बताया कि कोरोना वायरस का कोई भी संदिग्ध रोगी, परिवारिक सदस्य या संपर्क में आया अन्य व्यक्ति जांच नहीं करवाता है। जांच को पहुंची टीम का सहयोग नहीं करता है तो इसे सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोपित मानते हुए आईपीसी की धारा 188 के तहत कारर्वाइ होगी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोरोना को महामारी घोषित करने के बाद 11 मार्च से देश में केन्द्र सरकार ने 123 साल पुराने महामारी एक्ट को प्रभावित राज्यों में लागू किया है। यूपी में स्वास्थ्य विभाग भी वायरस की रोकथाम के लिए एक्ट के तहत कार्रवाई कर रहा है। इस एक्ट में चार सेक्शन हैं। सेक्शन-2 व 3 में राज्यों को शक्तियां प्रदान हैं।

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