भारत में कोरोना वायरस के केस 1 लाख के करीब, फिर भी मोदी सरकार पर लोगों का भरोसा कायम
नई दिल्ली. देशभर में बढ़ रहे कोरोना वायरस के संकट के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हौसले बुलंद हैं। देश की जनता ने भी देश पर आए इस संकट की घड़ी में प्रधानमंत्री का पूरजोर समर्थन किया है। देश के हर आम से लेकर खास तक उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार है।
बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता को संबोधित करते हुए कहा था कि देश के लिए कोरोना अवसर की तरह है, जिसमें आत्मनिर्भर बना जा सकता। हाल ही में हुए कुछ सर्वे बताते हैं कि कोरोना वायरस देश के साथ-साथ मोदी सरकार के लिए भी किसी अवसर से कम नहीं है, जिसमें वह लोगों का खोया हुआ विश्वास फिर जीतने में कामयाब होते दिख रहे हैं।
कोरोना से पहले घिरी थी मोदी सरकार
कोरोना वायरस के भारत आने से पहले की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार कई मुद्दों पर घिरती नजर आ रही थी। हिंसा, एनआरसी के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन चल रहे थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के दौरे से पहले तक दिल्ली हिंदू-मस्लिम दंगों की आग में जल रही थी। दूसरी तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति भी कुछ खास नहीं थी। देश में कोरोना के बाद आर्थिक मुद्दे पर दुनिया के साथ भारत और पिछड़ा है, लेकिन लोगों को मोदी के प्रति भरोसा कम नहीं हुआ है।
डॉनल्ड ट्रंप, पुतिन से आगे निकले
हाल ही के ओपीनियन पोल बताते हैं कि पिछले कुछ महीनों में मोदी के प्रति लोगों का भरोसा और बढ़ा है। प्रतिशत में इसकी बात करें तो यह 80 से 90 प्रतिशत के बीच है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति पुतिन से उनकी अक्सर तुलना होती है, लेकिन यह लोकप्रियता उनसे भी ज्यादा है।
ऐनालिस्ट मानते हैं कि पिछले चुनाव में जीत में पाकिस्तान के साथ रिश्तों में आए तनाव ने अहम रोल निभाया था। वैसे ही अब कोरोना वायरस के दौर में अगर स्थिति जैसी अभी चल रही है यानी केस एक गति से आगे बढ़ते रहे तो उनकी छवि और मजबूत हो सकती है। वैसे यह थ्योरी सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया पर भी काम करती है। राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय आपदा के वक्त में लोगों में देशप्रेम की भावना होती है, जिसका सीधा फायदा नेताओं को मिलता ही है।
कुछ घंटों पहले जैसे मोदी लॉकडाउन की घोषणा करते हैं और बड़े पैमाने पर लोग इसका पालन भी करते हैं, यह उनके लिए भरोसे को दिखाता है। ऐसा ऐनालिस्ट मानते हैं। फिर आगे कोरोना वॉरियर्स के लिए ताली-थाली या फिर दिये जलाने की गुजारिश, सबको माना गया।
जानकार मानते हैं कि इतनी बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर दिक्कतें झेल रहे हैं। इतने बड़े देश के लिए 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज भी शायद कम पड़े, लेकिन लोगों में विश्वास कायम है। यह भी माना जा रहा है कि अमेरिका में भी कोरोना काल में जितना हंगामा हुआ उतना भारत में नहीं हुआ। यहां केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं।
किसने किया सर्वे
पहला सर्वे मॉर्निंग कंसललेंट नाम की कंपनी ने किया। इस अमेरिकी फर्म के सर्वे में पाया गया कि उनकी लोकप्रियता 80 प्रतिशत के करीब है, जो ट्रंप, पुतिन, एंजेला मर्कल, बॉरिस जॉनसन से ज्यादा है। एक दूसरा पोल एक अन्य संस्था द्वारा किया गया है, जिसमें 93.5 प्रतिशत लोगों ने माना की मोदी वायरस संकट से ठीक से निपट रहे हैं।