न्यूयॉर्क
आम अमेरिकियों की तरह यहां के अमीर बिजनसमैन, बैंकर्स और इन्वेस्टर्स के बीच भी कोरोना वायरस चर्चा का विषय है। अगर स्थिति गंभीर होती है तो वह इससे बचने के लिए क्या कर सकते हैं, उस पर सोचना शुरू कर चुके हैं। कोई प्राइवेट प्लेन से दूसरे देश जाने की सोच रहा तो कोई खुद को अपने घर में बंद करने को तैयार, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो टॉप मेडिकल एक्सपर्ट से वेक्सिन के बारे में जानकारी ले रहे हैं।
होम डिपोट इंक के सह-संस्थापक केन लैंगोन ने अमेरिकी राष्ट्रपति के हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस को देखा और उन्हें ऐसा लगता है कि मीडिया कोरोना के खतरे को बढ़ा चढ़ाकर दिखा रही है। हालांकि, वह खुद कोरोना से लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने दो फोन लगाया। पहला एनवाईयू लैंगोन हेल्थ और दूसरा टॉप वैज्ञानिक को।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, 'आई लव कैपिटलिजम' नाम की बुक लिख चुके लैंगोन (84) ने कहा, 'मुझे लोगों ने बताया कि अब तक यह एक बैड फ्लू की तरह है।' उनके मुताबिक अगर वह खुद को बीमार महसूस करेंगे, तो वह एनवाईयू लैंगोन जाएंगे। उधर, एक बड़े हेज फंडे के को-फाउंडर की अलग योजना है। अगर कोरोना का संक्रमण बढ़ा तो वह इटली में स्थित अपने एक घर में रहेंगे। पार्क एवेन्यू के बोर्ड प्रेजिडेंट रहे इन्वेस्टर चार्ल्स स्टीवन्सन बताते हैं, 'मुझे अभी चिंता नहीं हो रही है। यह मेरे करीब अभी नहीं है।' वह कहते हैं कि अगर कोरोना फैला तो वह इडाहो चले जाएंगे और खुद को ऑफिस केबिन में बंद कर लेंगे और अगर उनका परिवार चाहे तो उनके साथ रह सकता है।
उनकी तरह की कुछ अरबपति, बैंकर्स और अमेरिका के अमीरों में शुमार लोग कोरोना को लेकर चिंतित हैं और हर कोई अपने हाथ धोने पर ध्यान दे रहा है। लेकिन अमीर लोगों के पास इस वायरस से बचने के लिए बेहतर विकल्प मौजूद हैं। जैसे कि वे अपने निजी विमान से शहर से बाहर जा सकते हैं, दुनिया के शीर्ष विशेषज्ञों से संपर्क कर सकते हैं और लग्जरी मेडिकल केयर पा सकते हैं।
प्राइवेट मेडिकल के मैनेजिंग पार्टनर जॉर्डन शलेन कहते हैं, 'यहां बिल्कुल वॉर रूम जैसी स्थिति है।' कोलोराडो के डॉक्टर टिम क्रूज बताते हैं कि अमीर लोग यह पूछते देखे जा रहे हैं कि क्या उन्हें कोरोना वायरस की वेक्सिन मिल सकती है, जिसका जवाब उन्हें 'ना' में मिल रहा है। दरअसल, वे बस तसल्ली के लिए पूछ रहे हैं कि वेक्सिन उपलब्ध है या नहीं।
बता दें कि अब तक दुनियाभर में 88000 से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हैं और 3000 से अधिक की मौत हो चुकी है। जबकि अमेरिका में कोरोना ने अब तक 7 जिंदगियां लील ली हैं। वहीं, डब्ल्यूएचओ ने अपने अनुमान में बताया है कि इसका वैश्विक खतरा काफी ज्यादा है। कोरोना के डर से ग्लोबल मार्केट पर भी असर पड़ा है। 2008 के वित्तीय संकट के बाद एस ऐंड पी 500 का इंडेक्स सबसे कमजोर रहा है।