नई दिल्ली
चीन में 40 दिनों से जारी कोरोना के कहर का असर भारत औऱ चीन के बीच व्यापार पर दिखने लगा है। चीन से कच्चा माल न मिलने से दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के दाम 45 फीसदी तक बढ़ गए हैं। प्लास्टिक उत्पाद और मोबाइल व इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के दाम में भी 30 फीसदी तक उछाल आया है। वहीं चीन को होने वाले निर्यात में रुकावट से जीरा, कपास जैसे उत्पादों के दाम गिर गए हैं।
गोरखपुर के थोक दवा बाजार भालोटिया बाजार में मॉस्क की दो हफ्ते से किल्लत हो गई है। एन-95 मास्क पूरे प्रदेश में ही नहीं मिल रहा है। दर्द, बुखार और एंटीबायोटिक दवाओं के दाम 30 से 50 फीसदी बढ़ गए हैं। सर्जिकल उपकरणों के दाम बढ़ गए हैं। 500 एमएल वाला सेनिटाइजर 230 रुपये से 350 रुपया पहुंच गया है। बीपी मशीन 959 से 1100 रुपये और नेबुलाइजर 1080 से 1208 रुपये हो गया है। नार्फ्लाक्स टीजेड का बड़ा आर्डर सप्लाई देने से कंपनियां इनकार कर रहीं हैं। विटामिन सी की कमी हो गई है।
आगरा के एक मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स कारोबारी सन्नी जैन ने बताया कि दिल्ली और आगरा के थोक व्यापारियों ने चीन से माल लेना रोक दिया है। आपूर्ति में कमी से फुटकर दुकानदारों को को ऊंचे दाम पर सामान मिल रहा है। व्यापारी संगठन के रोहित पचौरी का कहना है कि मोबाइल रिपेयरिंग का माल महंगा हुआ है। मोबाइलों के फोल्डर, चार्जिंग पिन, चार्जिंग प्लेट सहित स्पीकर आदि भी महंगे हुए हैं। मोबाइल फोल्डर के दाम तो 40 से 100 फीसदी तक बढ़े हैं। चार्जिंग प्लेट और स्पीकर भी 40 फीसदी तक महंगे हुए हैं।
नोएडा के औद्योगिक कारखानों में कच्चे माल की दिक्कतें बढ़ने लगी हैं। शहर के 150 कारोबारियों के कार्यालय चीन में हैं, जो दिसंबर से चीन नहीं गए हैं। सबसे अधिक असर दवा बाजार पर है। दवा उद्योग कच्चे माल के लिए 70 प्रतिशत चीन पर निर्भर है।
खिलौना बाजार पर भी 70 प्रतिशत से अधिक असर पड़ा है और चीन से खिलौनों की आपूर्ति न होने से कीमतों में उछाल है। मोबाइल इंडस्ट्री 90 प्रतिशत से अधिक प्रभावित हो चुकी है और इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों में भी 30 प्रतिशत तक की तेजी एक माह में आई है।
गाजियाबाद की औद्योगिक इकाइयों में चीन से आने वाले भारी मशीनरी के कलपुर्जे मिलना मुश्किल हो गए हैं। टीएलसी के एसी आने बंद हो गए हैं। चीन से आने वाले ऊनी कपड़े और मफलर भी नहीं आ रहे हैं मगर स्टॉक पर्याप्त होने के चलते महंगाई नहीं बढ़ी है।
चीन में फैले कोरोना वायरस का मुरादाबाद के निर्यात कारोबार पर सीधा असर पड़ा है। मुरादाबाद के हस्तशिल्प उत्पादों का निर्यात साढ़े आठ हजार करोड़ रुपये का है। इसमें से करीब ढाई सौ करोड़ रुपये का निर्यात चीन को हो रहा था। कोरोना के चलते चीन से ऑर्डर ठप पड़ गए हैं।
मुरादाबाद के लाइटिंग उत्पादों का 1200 करोड़ से ज़्यादा का सालाना निर्यात होता है और इन्हें तैयार करने के उपकरण चीन से नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में ऑर्डरों के लिए उत्पाद तैयार करने में परेशानी आ रही है।
चीन से जिन फैक्ट्रियों के पास कच्चा माल आता है, उनके पास केवल केवल एक सप्ताह का स्टॉक बचा है। उत्तराखंड इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र कुमार ने कहा कि उद्योग 30 प्रतिशत तक प्रभावित हुए हैं। विदेशी फलों की मांग कोरोना के कारण 60 फीसदी तक घटी है। देहरादून के मंडी निरीक्षण अजय डबराल का कहना है कि अंगूर, अमरूद, सेब संतरा किन्नू आदि विदेशों से दिल्ली मंडी के माध्यम से यहां आते हैं, उनकी मांग घटी है।