बीजिंग
चीन के हुबेई प्रांत में फैले कोरानावायरस से मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। चीन के स्वास्थ्य आयोग का कहना है कि नए कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या बढ़कर 811 हो गई है, जो लगभग 17 साल पहले सार्स वायरस के कारण हुई मौतों से अधिक है। सार्स वायरस 2003 में फैला था और दो दर्जन से अधिक देशों में इसके मरीज पाए गए थे, सार्स के कारण 774 लोगों की जान गई थी।
चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा दिए गए ताजा आकंड़े के मुताबिक, 2,649 संदिग्ध लोगो को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी कर दी गई है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस जानलेवा वायरस के कारण अब तक 811 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 37000 से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हैं।
रूसी न्यूज एजेंसी स्पूतनिक के अनुसार, 33738 लोगों का कोरोनावायरस के कारण हुए निमोनिया का इलाज किया जा रहा है। चीन ने कोरोनावायरस के फैलाव से निपटने के लिए दर्जन भर शहरों में 5.6 करोड़ लोगों की आवाजाही को रोकने के लिए विशेष वार्ड से लेकर यात्रा प्रतिबंध तक जैसे कदम उठाए हैं।
कोरोनोवायरस का पहला मामला दिसंबर के अंत में चीन के वुहान में पता चला था और तब से यह 25 से अधिक देशों में फैल चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रकोप के मद्देनजर वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है।
चीन में बेकाबू हो चुके कोरोनावायरस ने वहां बड़े पैमाने पर बरती गई राजनीतिक-प्रशासनिक लापरवाही को दुनिया के समक्ष उजागर कर दिया है। चीन पर नजर रखने वाले विश्लेषकों का कहना है कि जब वुहान में कोरोनावायरस फैल रहा था, तब वहां की मेयर ने सरकार पर आरोप लगाया तो रोग नियंत्रक अधिकारियों ने नौकरशाहों पर जिम्मेदारी डाल दी। सरकार में बैठे नेताओं ने तो जनता को ही इसके लिए जिम्मेदार ठहरा दिया।
मौत के आंकड़ों और संक्रमितों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी के बीच उच्च स्तर पर इस तरह आरोप-प्रत्यारोप वाकई हैरान करने वाले हैं। जानकारों का कहना है कि कोरोना को रोकने में विफल रहे चीन में पहली दफा जनता की नजरों में उनके सरकारी तंत्र की पोल खुल गई है, जिसे बड़े स्तर पर सफलतापूर्वक कार्य करने में दक्ष माना जाता था। चीन के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने कार्यकाल में नौकरशाहों और टेक्नोक्रेट्स से ज्यादा पार्टी काडर को तवज्जो दी है।
इसके चलते पार्टी काडर नौकरशाही पर हावी हो गया है। नौकरशाह ऐसा कोई भी निर्णय लेने से कतराते हैं, जिससे सरकार की आलोचना हो। मशहूर चीनी लेखक और वहां की राजनीति-नौकरशाही पर नजर रखने वाले शु काइझेन का मानना है कि कोरोना वायरस के बेकाबू होने में मौजूदा प्रशासनिक हालात का बड़ा योगदान है। वुहान से फैली महामारी ने स्थानीय सरकार की कमजोर कार्रवाई और नौकरशाहों के मन में शीर्ष स्तर पर बैठे नेताओं के भय को उजागर कर दिया है।