कैंडल लाइट डिनर से सेहत को नुकसान

अगर आप अपने पार्टनर के साथ 'कैंडल लाइट डिनर' करना पसंद करते हैं तो अब इसे अवॉइड करें। नैशनल मीटिंग में पेश की गई एक स्टडी के मुताबिक, प्यार जताने का यह रोमांटिक तरीका यानी कैंडल लाइट डिनर हेल्थ के लिए बेहद नुकसानदेह है। अगर आप हफ्ते में 4 से 5 दिन कैंडल लाइट डिनर करते हैं और डिनर करने में लगता है 2 से 3 घंटा, तो कैंडल्स का धुंआ आपके लंग्स पर असर डालना शुरू कर देता है। कैंडल लाइट डिनर आपके लिए किस तरह नुकसानदेह है, यहां जानें…

एयर पलूशन की एक वजह है ऐसा डिनर
स्टडी के मुताबिक, कपल्स का कैंडल लाइट डिनर कर प्यार जताने का यह अंदाज हेल्थ के साथ ही पलूशन भी फैलाता है। दरअसल, कैंडल्स बनाने के लिए पैराफीन वैक्स का इस्तेमाल होता है और जब आप इन्हें किसी रूम में बैठकर जलाते हैं, तो आप साफ तौर पर एयर पलूशन के जिम्मेदार हैं। नैशनल मीटिंग में पेश की गई इस स्टडी में कहा गया है कि कैंडल लाइट डिनर अगर एसी और बंद कमरे में बैठकर हो रहा है, तो आपकी हेल्थ पर असर पड़ना तय है। इसलिए इस डिनर को करने के लिए बंद रूम की बजाय अच्छी वेंटिलेशन वाली जगह चुनें। स्टडी से जुड़े आमिद हमीदी का मानना है कि कभी-कभार पैराफीन की कैंडल जलाने से कोई खतरा नहीं है, लेकिन रोजाना या फिर बहुत सारी कैंडल्स एक साथ जलाने से आपको नुकसान हो सकता है। यहां तक कि कुछ लोग अपने बाथ टब के चारों ओर भी कैंडल जलाते हैं। ऐसे लोगों को ऐलर्जी और बेचैनी की शिकायत भी हो जाती है।

कैंडल्स में मौजूद पैराफीन वैक्स में 20 जहरीले तत्व
कैंडल्स में मौजूद पैराफीन वैक्स में कम से 20 जहरीले तत्व होते हैं। इसमें खास हैं ट्रीचोरोंएथाने, एसीटोन, सायलेन, फिनोल, क्रिसोल, चोलोरोबेंजोन वगैरह। जब कैंडल जलाई जाती है, तो आस-पास के वातावरण में उसके जहरीले तत्व फैल जाते हैं, जिससे जब लोग सांस लेते हैं तो ये तत्व अंदर चले जाते हैं। फिजिशियन डॉक्टर अजय महाजन कहते हैं कि कैंडल्स में मौजूद पैराफीन वैक्स अस्थमा और सांस की प्रॉब्लम्स पैदा कर सकता है। दरअसल, जब ये जलती हैं, तो इनसे एक तरह की स्मेल निकलती है जो लंग्स पर असर डालती है। कैंडल्स के धुएं से बहुत सारे लोगों को सिरदर्द हो जाता है। डॉक्टर अजय बताते हैं कि कैंडल्स में मौजूद बेंजीन और टोल्यूनी जैसे हानिकारक केमिकल्स के कारण भी ऐसा होता है। अगर आप घर पर बहुत ज्यादा कैंडल्स का इस्तेमाल करते हैं, तो पैराफीन का धुआं किडनी में गांठ का कारण भी बन सकता है। यही नहीं, कैंडल्स की बत्ती में मौजूद सीसा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह दिमाग, फेफड़े, लीवर, को नुकसान पहुंचाने के साथ ही हॉर्मोन्स के संतुलन को भी बिगाड़ सकता है। इसके अलावा, कैंडल्स से निकलने वाले केमिकल टॉल्यून और बेंजल अगर एक तय लेवल से ज्यादा हो जाएं, तो यह कैंसर की वजह भी बन जाता है।

प्रेग्नेंट लेडी के लिए खतरनाक
कैंडल्स जलाना प्रेग्नेंट लेडी के लिए भी बेहद खतरनाक है। इसका धुंआ मां की सांस द्वारा बच्चे तक पहुंचती है। डॉक्टर्स के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति सालों तक हर रोज पैराफीन मोमबत्तियां जलाता है, तो बच्चे के नर्वस सिस्टम पर प्रभाव पड़ सकता है।

छत्ते से निकले मोम या सोया से बनने वाली मोमबत्तियां है सेफ
अगर आप पैराफीन वैक्स की बजाय थोड़ा महंगा आने वाला मधुमक्खी के छत्ते से निकलने वाले वैक्स का इस्तेमाल करें, तो यह एक सेफ ऑप्शन हो सकता है। दरअसल, मधुमक्खी के वैक्स से बनी कैंडल हानिकारक केमिकल नहीं छोड़ती, जिसे कैंडल लाइट डिनर के तौर पर यूज किया जा सकता है, कैंडल्स पर कई साल तक रिसर्च कर चुके आमिद हामिदी का यह कहना है। उन्होंने कहा कि इस तरह की कैंडल में वह रसायन नहीं निकलते, जो हेल्थ को नुकसान पहुंचाते हैं।

सिगरेट वाले टॉक्सिन
स्टडी के बाद यह भी पता चला है कि सिगरेट के धुएं से निकलने वाले कई टॉक्सिन मोमबत्ती के धुएं में भी पाए जाते हैं। साउथ कैरोलाइना स्टेट यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट्स ने भी मोमबत्ती के धुएं का टेस्ट किया था। उनका मानना था कि पैराफीन की मोमबत्तियों से निकलने वाला हानिकारक धुआं लंग्स को 45 फीसदी नुकसान पहुंचाता है, तो सिगरेट का कुछ फीसदी ही कम है।

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