नई दिल्ली
एंग्लो इंडियन समुदाय के सदस्यों का लोकसभा और विधानसभाओं में नामांकन अब बंद कर दिया जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दी। हालांकि लोकसभा में एससी और एसटी के रिजर्वेशन को 10 साल तक के लिए बढ़ा दिया गया है। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में इन श्रेणियों के लिए आरक्षण 25 जनवरी, 2020 को समाप्त होना था।
कानून के अनुसार, लोकसभा की 543 सीटों में से 84 सीटें अनुसूचित जाति के लिए और 47 अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा, सरकार एंग्लो-इंडियन समुदाय से दो सदस्यों को नामित करती है, जो इसे 545 सदस्यों का हाउस बनाती है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में, एंग्लो-इंडियन समुदाय के दो सदस्यों को नामित किया गया था। एक अधिकारी ने बताया कि दूसरे कार्यकाल में कोई नामांकन नहीं किया गया था। खबर है कि यह फैसला एक पैनल द्वारा लिया गया था जिसमें केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत सहित कई मंत्री शामिल थे।
समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, एंग्लो-इंडियन समुदाय के सदस्यों के लिए आरक्षण का प्रावधान "कुछ समय के लिए" किया गया था।घटनाक्रम से परिचित अधिकारियों ने कहा कि सरकार का मानना है कि समुदाय अच्छा कर रहा था और उसे आरक्षण की आवश्यकता नहीं थी। अगर जरूरत पड़ी तो बाद में आरक्षण पर पुनर्विचार किया जा सकता है। यह पता चला है कि राज्य विधानसभाओं में एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिए आरक्षण भी वापस लिया जा सकता है। हालांकि, अधिकारियों ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की।