बालोद
बालोद के कुटुंब न्ययालय ने 6 साल से लंबित मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। जिसमें पत्नी को अपने हिस्से की आधी से ज्यादा संपति पति द्वारा देना होगा।
आवेदिका किरण साहू का विवाह 1999 में अनावेदक तारेंद्र साहू (बदला हुआ नाम) के साथ में हुआ था। 12 वर्ष दांपत्य जीवन बिताने के बाद व 2 बच्चों के माता-पिता बन जाने के बाद पति की प्रताडऩा से त्रस्त हो कर अलग रहने लगी थी। परवरिश के लिये सन 2012 से न्यायालय में आवेदन लगाई थी परंतु उन्हें भरण पोषण के नाम पर एक फूटी कौड़ी नसीब नही हो रही थी। अधिवक्ता भेषकुमार साहू से 2 माह पूर्व संपर्क कर न्याय दिलाने की गुहार लगाई थी। अधिवक्ता साहू ने अनावेदक तारेंद्र साहू के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिये कड़ाई बरतना शुरू कर तारेंद्र को जेल भेजे जाने की नौबत पैदा कर दी। तब पति तारेंद्र ने अपनी आधी संपति पत्नी किरण और बच्चों को देने को तैयार हुआ। उसके बाद भी इन दंपति के समझ उलझन की स्थिति बनी हुई थी कि उक्त संपति का रजिस्ट्री का खर्च कौन उठायेगा। उक्त समस्या का समाधान अधिवक्ता साहू ने सहजता से करते हुए एक आवेदन पेश किया, जिसे न्यायालय ने स्वीकार करते हुए पति तारेंद्र साहू के नाम की 2 एकड़ भूमि में से 1.10 एकड़ भूमि किरण और उनके बच्चों के नाम पर विधिवत नामान्तरण करने का आदेश पारित किया है।