नई दिल्ली
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि पांच हजार साल के इतिहास में अभी तक ऐसी कोई घटना नहीं हुई है कि किसी हिंदू राजा ने कोई मस्जिद को तोड़ा है और तलवार के आधार पर किसी का जबरन धर्मांतरण किया है। उन्होंने कहा कि हमारी हिंदू संस्कृति- हमारी भारतीय संस्कृति प्रगतिशील भी है, सर्वसमावेशक भी है, सहिष्णु भी है। यह संकुचित नहीं है, जातिवादी नहीं है, सांप्रदायिक नहीं है। गडकरी ने कहा, 'अगर हिंदुस्तान को भविष्य में जीवित रखना चाहते हो, सावरकर को अगर भूल जाएंगे तो जो 1947 में एक बार हुआ, मुझे लगता है कि आगे भविष्य के दिन भी अच्छे नहीं जाएंगे। यह मैं बहुत जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं।'
'… तो न समाजवाद रहेगा न लोकतंत्र रहेगा'
अखिल भारतीय स्वातंत्र्यवीर सावरकर साहित्य सम्मेलन में बोलते हुए गडकरी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने सैनिकों को सख्त ताकीद दी थी कि किसी धर्म के कोई भी पवित्र स्थान हो उसका अपमान नहीं करना चाहिए, महिलाएं किसी भी धर्म की हों, माता समान उनके साथ सम्मान का व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सावरकर ने राष्ट्रवादी विचार की जो सोच दी थी वह आज हमारे लिए बहुत जरूरी है। अगर उसकी तरफ हमने ध्यान नहीं दिया तो एक बार तो हमने देश का दो टुकड़ों में बंटवारा देखा है, अगर ऐसा ही रहा तो हमारे देश में ही नहीं दुनिया में न समाजवाद रहेगा, न लोकतंत्र रहेगा न धर्मनिरपेक्षता रहेगी।
'सेकुलर का मतलब धर्मनिरपेक्षता नहीं'
सावरकर दर्शन प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित सम्मेलन में गडकरी ने कहा कि सेकुलर का मतलब धर्मनिरपेक्षता नहीं है। सेकुलर का मतलब है सर्वधर्म समभाव। यह हिंदू संस्कृति का नैसर्गिक स्वरूप है। हमने सभी संस्कृतियों का सम्मान भी किया है। अनेकता में एकता हमारी विशेषता है। उन्होंने कहा कि आज की स्थिति में हमें सर्वसमावेशक, प्रगतिशील होते हुए भी और सही अर्थों में सर्वधर्म समभाव करते हुए आगे जाना है लेकिन मॉइनॉरिटी की या किसी कम्युनिटी का तुष्टीकरण करना यह सेकुलर नहीं है।
सावरकर का जिक्र करते हुए गडकरी ने कहा कि उन्होंने एक भाषण में कहा था कि जिस देश में 51 पर्सेंट मुस्लिम है उस देश में न लोकतंत्र है न समाजवाद है, न ही धर्म निरपेक्षता है। यह तब तक चलेगा जब तक मेजॉरिटी मुस्लिम नहीं होती। मेजॉरिटी मुस्लिम होने के बाद वह देश कैसा चलता है उसके लिए पाकिस्तान, सीरिया को देख लें। गडकरी ने कहा कि मुस्लिम समाज में भी प्रगतिशील और उदारवादी लोग हैं। जो चाहते हैं कि शिक्षा का प्रसार हो और भविष्य ज्ञान-विज्ञान से जुड़े। उन्होंने कहा कि हम किसी धर्म के खिलाफ नहीं हैं। हम सर्वसमावेशी, उदार और सहिष्णु हैं। हम मुस्लिम के खिलाफ नहीं हैं, मुस्लिम संस्कृति के खिलाफ नहीं है। जो आतंकवादी हैं, जो फंडामेंटलिस्ट हैं, जो कहते हैं कि हम अच्छे हैं, बाकी सब काफिर हैं, सबको हटाओ- इस प्रवृति के खिलाफ हैं।
'सावरकर को समझे बिना टिप्पणी गलत'
गडकरी ने कहा कि सावरकर के पूरे परिवार और खासकर उनके परिवार की महिलाओं ने कई अपमान सहा। जब सावरकर के बारे में कोई गलत टिप्पणी करता है तो आंखों में आंसू आ जाते हैं। क्योंकि उनके विचारों को न समझते हुए टिप्पणी कर दी जाती है जो दुखद है। सावरकर के बारे में इमेज बनाम रियलिटी गंभीर समस्या है। गडकरी ने कहा कि हम जैसे लोगों की कमी है कि हम सही अर्थ में उनको प्रेजेंट करने में जितना सफल होने चाहिए उतना नहीं हुए। ऐसे देशभक्त को संकुचित राजनीति करने वालों ने बदनाम करने की कोशिश की।