भोपाल
राज्यपाल लालजी टंडन ने कृषि उपाधि प्राप्त छात्र-छात्राओं का आव्हान किया है कि तकनीकों, नए विचारों के माध्यम से देश की कृषि-व्यवस्था में क्रांति लाने के प्रयास करें, ताकि देश के किसानों की आर्थिक स्थिति में वांछित सुधार सुनिश्चित हो सके। राज्यपाल ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के षष्टम दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। टंडन ने समारोह में 521 विद्यार्थियों को उपाधियाँ और पाँच छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किये। समारोह में किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री सचिन यादव उपस्थित थे।
राज्यपाल टंडन ने कहा कि बाजारवाद देश पर हावी हो रहा है। किसान अधिक उत्पादन लेने के चक्कर में अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कर रहे हैं। इसका ही परिणाम है कि भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर हो रही है। हम दूषित खाद्य पदार्थों का उपयोग कर विभिन्न बीमारियों से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए समर्थन मूल्य बढ़ाने के साथ धरती माँ की उर्वरा शक्ति को भी बचाना होगा। महँगी खाद की अपेक्षा जैविक खाद का अधिक उपयोग करना होगा। उन्होंने कहा कि जैविक खाद के उपयोग से भूमि में अनेकों लाभदायक जीवाणु जन्म लेते हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बरकरार रहने के साथ उसमें पैदा होने वाले खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता अच्छी होती है। टंडन ने कहा कि गौ-माता एवं धरती माता को आज संरक्षण देने की आवश्यकता है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि उपाधि प्राप्त करने के बाद जब वे क्षेत्र में जाएँ, तो लोगों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित करें। जैविक खेती के लिए किसी भी गांव को गोद लेकर वहाँ किसानों का फसल बीमा भी कराएँ।
किसानों को टिकाऊ और संरक्षित खेती के लिये प्रोत्साहित करना होगा : मंत्री यादव
कृषि विकास एवं कृषक कल्याण मंत्री सचिन यादव ने कहा कि कृषि हमारे देश की अर्थ-व्यवस्था का आधार है। हमें कृषि को प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने कहा कि अतिवर्षा के कारण प्रदेश के कई जिलों में फसलें प्रभावित हुई हैं। हमें फसलों की ऐसी प्रजातियाँ पैदा करनी होंगी, जो कम लागत और कम समय में अधिक उत्पादन दे सकें। यादव ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में किसानों को जल के सही प्रबंधन की जानकारी भी दी जाए, जिससे पानी की एक-एक बूँद का सही तरीके से उपयोग हो सके।
उन्होंने कहा कि किसान भाईयों को मिट्टी परीक्षण कराने की समझाईश देनी होगी, टिकाऊ खेती के लिए प्रोत्साहित करना होगा। किसानों को बताना होगा कि कृषि पर ही निर्भर न रहकर फलोद्यान, मछलीपालन, पशुपालन, डेयरी जैसे व्यवसायों को भी अपनायें। यादव ने कहा कि बढ़ते औद्योगीकरण एवं शहरीकरण के कारण खेती का रकबा कम हो रहा है। हमें अनुपयोगी एवं बंजर भूमि का सही प्रबंधन कर उसे कृषि-योग्य बनाना है। इसके लिए किसानों को कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से संचालित योजनाओं की जानकारी भी देनी होगी।
समारोह में जाने-माने कृषि वैज्ञानिक डॉ. मंगला राय, कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.के. राव, कृषि महाविद्यालय के कुल सचिव डी एल कोरी सहित प्रमंडल सदस्य भी उपस्थित थे।