नई दिल्ली
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के चीफ डॉ. के. सिवन ने कहा है कि चंद्रयान-2 की '98% सफलता' की घोषणा मैंने नहीं की थी. यह उस राष्ट्रीय स्तर की कमेटी ने कहा था जो पूरे मिशन का रिव्यू कर रही है. सिवन ने कहा कि कमेटी का मानना है कि शुरुआती आंकड़ों के अनुसार हमारे मिशन में सिर्फ 2 फीसदी की कमी आई है, 98 फीसदी मिशन सफल रहा है.
डॉ. के. सिवन ने कहा कि मेरा मानना भी यही है कि मिशन 98% सफल रहा है. क्योंकि हमने पहली बार 4 टन से ज्यादा वजन के किसी सैटेलाइट को जियोस्टेशनरी सैटेलाइट ऑर्बिट में डाला. हमने पहली बार दो सैटेलाइट (लैंडर और ऑर्बिटर) को एकसाथ चांद की कक्षा में पहुंचाया. हमने पहली बार अपने ऑर्बिटर में ऐसे पेलोड्स लगाएं हैं, जो दुनिया में पहली बार उपयोग किए जा रहे हैं. ये पेलोड्स अत्याधुनिक हैं. यही नहीं, लैंडिंग से पहले विक्रम के सभी सब-सिस्टम सही से काम कर रहे थे. इसरो चीफ ने ये बाते एक अंग्रेजी अखबार को दिए गए इंटरव्यू में कहीं.
डॉ. के. सिवन ने कहा कि 7 सितंबर की रात जब मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाकर बताया कि विक्रम लैंडर की लैंडिंग गड़बड़ हो गई है. हमारा उससे संपर्क टूट गया है. तब मोदी ने कहा था कि आप चिंता मत करो. सब ठीक हो जाएगा. उसके बाद अगली सुबह वो आए, हमारी पूरी टीम को संबोधित किया, हौसला बढ़ाया. मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स (MOX) से जाते समय जब उन्होंने मुझे गले लगाया तब उन्होंने मुझे कुछ नहीं कहा.
डॉ. के. सिवन ने बताया कि हमारा अगला सबसे महत्वपूर्ण मिशन है आदित्य-एल1. यह मिशन अगले साल अप्रैल में लॉन्च किया जाएगा. उसके पहले कार्टोसैट-3, रीसैट-2बीआर1 और रीसैट-2बीआर2 लॉन्च किए जाएंगे. ये सभी निगरानी और जासूसी उपग्रह हैं. इसके अलावा इस साल दिसंबर अंत तक या अगले साल की शुरुआत में स्माल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) लॉन्च करेंगे. इन सबके बाद गगनयान दिसंबर 2021 में लॉन्च करेंगे. गगनयान के बाद हम अपने स्पेस स्टेशन के बारे में तैयारी करेंगे. इसके बाद 2023-24 तक शुक्र ग्रह पर सैटेलाइट छोड़ेंगे. शुक्र मिशन के लिए हमें अभी से ही कई देशों से पेलोड्स लगाने की रिक्वेस्ट आ रही है.
डॉ. के. सिवन ने बताया कि नेशनल रिव्यू कमेटी की पूरी जांच के बाद हम अपने ऑर्बिटर से मिले सभी डेटा और तस्वीरें आम जनता के लिए जारी करेंगे. रिव्यू कमेटी अभी भी काम कर रही है. इसके बाद वह रिपोर्ट पीएम को सौपेंगी. उसके बाद डेटा सार्वजनिक किए जाएंगे. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर से मिले डेटा को भी सार्वजनिक करेंगे, लेकिन समय आने पर.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO) नहीं खोज पाया. नासा ने कहा है कि अब हम विक्रम लैंडर को दोबारा अक्टूबर में खोजने का प्रयास करेंगे. नासा LRO के वैज्ञानिकों ने बताया है कि विक्रम लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) से करीब 600 किमी दूर गिरा था. 17 सितंबर को LRO ने उस इलाके के ऊपर से उड़ान भरी. लेकिन शाम का माहौल होने की वजह से उस जगह की सही तस्वीर नहीं आ पाई है. इसलिए हम विक्रम लैंडर को खोज नहीं पाए. इसे दोबारा अक्टूबर में खोजने का प्रयास करेंगे, जब वहां पूरी रोशनी होगी.
इसरो ने 7 सितंबर को तड़के 1.50 बजे के आसपास विक्रम लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराने की कोशिश की थी, लेकिन यह लैंडिंग उम्मीद के मुताबिक नहीं हो सकी और विक्रम से संपर्क टूट गया था.