कानपुर
अधिकतम और न्यूनतम तापमान में वृद्धि हुई। तेज हवाएं चलीं। इसके बावजूद देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहर का धब्बा नहीं मिट सका। न तो धूल-धुएं के कण सीमित हो सके और न ही गैसें। शहर के सर्वाधिक प्रदूषित होने के कारकों में पीएम-2.5 के अतिरिक्त ओजोन और नाइट्रोजन डाईऑक्साइड गैसें भी रहीं।
देश में तो प्रदूषण की स्थिति में सुधार हुआ लेकिन शहर के पॉल्यूशन लेवल में अपेक्षाकृत सुधार नहीं हो सका। रविवार को देश में केवल पांच शहर ही रेड जोन में रह गए। इनमें उत्तर प्रदेश से केवल कानपुर ही है। रेड जोन में लोगों को सांस लेने में दिक्कतें आने लगती हैं। राहत इतनी है कि रविवार को कोई भी शहर डार्क रेड जोन में नहीं रहा।
अमोनिया, सीओ का रिकार्ड नहीं : प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अमोनिया, कार्बन डाईऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा रिकार्ड तो करता है लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं करता है। अमोनिया की मात्रा जैसे ही वातावरण में बढ़ती है वैसे ही आंखों में जलन, गले और श्वांस नली में परेशानी शुरू हो जाती है। अमोनिया कार्बनिक तत्वों के क्षरण से पैदा होती है। इसमें मानव व जानवरों का मल भी शामिल है। इसके अलावा खाद आदि का उपयोग करने से भी यह पैदा होती है।
यह गैसें कर रहीं परेशान : स्मार्ट सिटी के अन्तर्गत कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाईऑक्साइड का आकलन किया जाता है। इसकी मात्रा रविवार को कई क्षेत्रों में असामान्य रही। शहर का प्रदूषण बढ़ाने में रविवार को धूल-धुएं के कणों के अलावा ओजोन की अधिक मात्रा (अधिकतम 80.6 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर) भी जिम्मेदार रही। सल्फर की मात्रा भी खतरनाक स्तर पर रही। नाइट्रोजन डाईऑक्साइड की अधिकतम मात्रा 55.1 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रही जो मानक से काफी अधिक है। ऑक्साइड्स ऑफ नाइट्रोजन, बेंजीन, ट्वालीन और पैरा जाइलीन की मात्रा भी सामान्य नहीं रही।
दिन भर खतरनाक स्तर पर एक्यूआई : रविवार सुबह से कानपुर का एक्यूआई 400 के ऊपर रहा। यूपी-पीसीबी के अनुसार शाम को चार बजे यह 406 पर पहुंच गई। सीपीसीबी के अनुसार कानपुर का एक्यूआई 394 रहा। दिन भर शहर रेड और डार्क रेड जोन के बीच बना रहा।