भोपाल
सूबे की कांग्रेस सरकार में कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुने जाने को लेकर कई बार बैठकों में पार्टी नेताओं का दर्द खुलकर झलक चुका है. कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं होने को लेकर पार्टी ने समन्वय बनाने के लिए एक समिति का गठन भी कर दिया है. जिसमें पार्टी के सात दिग्गज नेताओं को शामिल किया गया है. कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया की अध्यक्षता में बनी समिति के जरिए सत्ता और संगठन में समन्वय बनाने की कोशिश की जानी है. लेकिन 20 जनवरी को गठित हुई समिति की पहली बैठक को लेकर ही कांग्रेस के अंदर समन्वय नहीं बन पा रहा है. आलम ये है कि बीस दिन बाद भी समिति की बैठक की कोई तारीख तय नहीं हो सकी है.
कांग्रेस पार्टी ने सत्ता और संगठन के बीच तालमेल की कमी और चुनावी वचन पत्र पर अमल को लेकर दो समितियों का गठन किया है. चुनावी घोषणा पत्र पर अमल के लिए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वी राज चव्हाण को अध्यक्ष बनाया गया है तो दूसरी समिति समन्वय समिति है जिसका अध्यक्ष प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया को बनाया है. सात सदस्यों वाली इस समिति में सीएम कमलनाथ के अलावा दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अरुण यादव, मीनाक्षी नटराजन और जीतू पटवारी को शामिल किया गया है.
लेकिन समिति की बैठक को लेकर पार्टी के अंदर समन्वय नही पाने को लेकर अब बीजेपी को तंज कसने का मौका मिल गया है. मंत्री पीसी शर्मा ने कहा है कि समन्वय समिति की बैठक तब होगी, जब समन्वय समिति का कोई मामला आएगा. वैसे ही नेताओं के बीच समन्वय बना हुआ है. बीजेपी विधायक विश्वास सारंग ने कहा है कि सत्ता और संगठन में समन्वय नहीं है इसलिए समिति बनी है लेकिन नेताओं के बीच जब समन्वय नहीं है तो समन्वय समिति की बैठक कैसे होगी.
बहरहाल कांग्रेस की हर बैठक में सुनवाई नही होने को लेकर कार्यकर्ता की नाराजगी खुलकर सामने आती है और इसी को दूर करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने समन्वय समिति का गठन किया है. लेकिन समिति की बैठक नहीं होने के चलते अब सवाल ये है कि कार्यकर्ताओं की शिकायतों का समाधान कैसे होगा और कब पार्टी के बड़े नेताओं के बीच समन्वय समिति की बैठक को लेकर समन्वय बन पाएगा.