रायपुर
समाज कल्याण विभाग में हजार करोड़ के बड़े घोटाले को लेकर रार बढ़ गया है। जांच को लेकर सीबीआई के अफसर पड़ताल शुरू कर चुके हैं। इस बीच कांग्रेस ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि इस मामले में खुद पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमनसिंह की संलिप्तता है।
प्रदेश कांग्रेस संचार प्रमुख शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा कि खुद डॉ. रमन सिंह ने निशक्तजन संस्थान की स्थापना की मंजूरी दी थी और प्रबंध कार्यकारिणी में 4 सदस्यों की नियुक्ति भी की थी। अब दस्तावेज सार्वजनिक हो चुके हैं, तो अपनी भूमिका को छिपाने के लिए बयानबाजी का सहारा ले रहे हैं।
श्री त्रिवेदी ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि अपनी सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए रमन सिंह इतना आतुर हंै, तो सबसे पहले निशक्तजन घोटाले में अपनी संलिप्तता के लिए प्रदेश की जनता से माफी मांगे। अफरा-तफरी की गई राशि को जनता के खजाने में जमा करायें और फिर बयानबाजी करें। वे निशक्तजन घोटाले में अपनी भूमिका को लेकर जवाब दें। राज्य स्रोत (निशक्तजन) केन्द्र की स्थापना में मुख्यमंत्री के रूप में रमन सिंह ने ही डॉ. सच्चिदानंद जोशी, प्रफुल्ल विश्वकर्मा, सुधीर जैन और दामोदर गणेश वापट का मनोनयन किया था। अब जब दस्तावेज सार्वजनिक हो चुके हैं तो अपनी भूमिका को छिपाने के लिए बयानबाजी का सहारा ले रहे हैं।
श्री त्रिवेदी ने पूछा है कि सत्ता से हटने के बाद रमन सिंह सीबीआई में अचानक जागे अपने विश्वास का कारण तो बताएं। 2012 में रमन सरकार ने राज्य में सीबीआई को जांच से रोकने का आदेश निकाला था। भूपेश बघेल की सरकार राज्य के कानून का सम्मान करने के लिए अगर अदालत में रिव्यू पीटिशन लगाती है तो इस पर टीका टिप्पणी करते हैं। क्योंकि 2012 में एक कानून बनाया गया इसलिए उस कानून का पालन करते हुए रिव्यू पीटिशन लगाई गई तो उसे लेकर रमन सिंह की टीका टिप्पणी से रमन सिंह का दोहरा चरित्र उजागर हो गया है।
कांग्रेस संचार प्रमुख श्री त्रिवेदी ने कहा कि जब भूपेश बघेल विपक्ष में थे तो उन्होंने नान घोटाले की सीबीआई जांच की मांग उठाई थी। न्यायालय में भी कुछ लोगों ने नान घोटाले में सीबीआई जांच की मांग करते हुए मामले लगाए थे। तब रमन सिंह सरकार ने कोर्ट में नान मामले की सीबीआई जांच का विरोध किया था।