रायपुर
नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा होते ही कांग्रेस ने दावा किया है कि वह चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। पार्टी राज्य सरकार के 11 माह के कार्यकाल में हुए कामों के दम पर चुनाव लड़ेगी। चुनाव के लिए नगरीय निकायों के प्रभारियों की नियुक्ति कर दी गई है, जो बूथ स्तर से लेकर जिला कमेटियों तक के पदाकिारियों की बैठक लेकर चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। हर बैठक में कार्यकर्ताओं-पदाकिारियों को यही बताया जा रहा है कि उन्हें सरकार के कामों की ब्रांडिंग करनी है। विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने 90 में से 68 सीटों पर जीत हासिल की। इसके बाद लोकसभा चुनाव 2019 में हुआ, तो कांग्रेस को अपेक्षित सीटें नहीं मिल पाईं। 11 लोकसभा सीटों में से केवल दो सीटों पर ही कब्जा हो पाया।
पार्टी के नेताओं का कम से कम सात लोकसभा सीटों पर जीत का दावा था, लेकिन केवल एक सीट बढ़ा पाई। राज्य बनने के बाद से कांग्रेस लोकसभा चुनावों में केवल एक-एक सीट ही जीत रही थी। प्रदेश में बस्तर संभाग की दो विानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, दोनों में कांग्रेस को जीत मिली। इसमें से एक सीट तो भाजपा की थी।
इससे कांग्रेस में उत्साह बढ़ा है। हालांकि, अभी तक नगरीय निकाय चुनाव की तैयारी में भाजपा के मुकाबले कांग्रेस थोड़ा पीछे है। भाजपा ने न केवल नगरीय निकाय, बल्कि पंचायत चुनावों के लिए भी प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है। घोषणापत्र समिति गठित कर दी गई है। कांग्रेस ने घोषणापत्र समिति की सूची तो बना ली है, लेकिन उसकी घोषणा अटकी है।
पिछले दिनों राजस्थान के 49 नगरीय निकायों में चुनाव हुए। राजस्थान में भी कांग्रेस की सरकार है। 23 नगरीय निकायों में कांग्रेस और 18 निकायों में सहयोगी दलों ने कब्जा किया। भाजपा को केवल छह सीटों पर संतुष्ट होना पड़ा। राजस्थान के इस नतीजे ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस में हवा भरने का काम किया है।
कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री शैलेश नितिन त्रिवेदी का कहना है कि चुनाव के लिए पार्टी ने कमर कस ली है। कांग्रेस जब विपक्ष में थी, तब पिछले नगरीय निकाय चुनाव में 10 नगर निगमों में से कांग्रेस ने छह नगर निगमों में कब्जा किया था। 20 नगर पालिकाओं और 52 नगर पंचायतों पर जीत मिली थी।