नई दिल्ली
कोरोना वायरस के खौफ और वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की गिरती कीमतों ने शेयर बाजार को तगड़ी चोट पहुंचाई है। क्या सेंसेक्स और क्या निफ्टी, दोनों ही लाल निशान से उभर नहीं पा रहे हैं। हालात इतने खराब हो गए हैं कि शेयर बाजार लोअर सर्किट के बिल्कुल करीब जा पहुंचा, जिसे देखकर लोगों की धड़कनें बढ़ने लगीं। बता दें कि अगर शेयर बाजार में 10 फीसदी या उससे अधिक की गिरावट आ जाती है, तो उसमें लोअर सर्किट लग जाता है और ट्रेडिंग रोक दी जाती है। आज के दिन शेयर बाजार में आई भारी गिरावट की कुछ खास बातें हैं, जो आपको जरूर जाननी चाहिए।
2008 में सबसे बड़ी गिरावट
सेंसेक्स में सबसे बड़ी गिरावट करीब 12 साल पहले 2008 में आई थी। इस बार सेंसेक्स 9 फीसदी के करीब तक जा चुका है और ये गिरावट 2008 के बाद सबसे बड़ी है, जिसके तहत सेंसेक्स करीब 3150 अंक तक गिर गया। 2008 में एक वक्त ऐसा आया था जब सेंसेक्स में लोअर सर्किट लगा था। बता दें कि 24 अक्टूबर 2008 को कारोबार के दौरान सेंसेक्स 1070.63 प्वाइंट यानी 10.96 फीसदी टूटा था।
जुलाई 2017 के बाद पहली बार निफ्टी 9600 के नीचे
निफ्टी ने 25 जुलाई 2017 को 10,000 का आंकड़ा छुआ था। जून 2017 खत्म होने पर निफ्टी 9520 अंकों पर था। आज के कारोबार में निफ्टी 9600 के भी नीचे चला गया, जो आंकड़ा जुलाई 2017 के दौरान था। निफ्टी में भी गिरावट 9 फीसदी के करीब जा पहुंची है।
52 हफ्ते के निचले स्तर पर पहुंचे ये स्टॉक्स
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, टीसीएस, एचडीएफसी बैंक, बजाज ऑटो, एचपीसीएल, आईटीसी, एल&टी, स्पाइसजेट, एबीबी, हीरो मोटोकॉर्प, एसीसी, बीईएमएल, जीएआईएल, जिलेट और ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल उन 783 स्टॉक में रहे, जिन्होंने 52 हफ्तों का सबसे निचला स्तर छुआ।
पिछले7 साल की सबसे बड़ी गिरावट
टीसीएस में 12 फीसदी, बर्जर पेंट्स में 15 फीसदी, इंडिगो में 18 फीसदी और स्पाइसजेट में 36 फीसदी की गिरावट। पिछले 7 की सबसे बड़ी है ये गिरावट।
सेंसेक्स 7 दिन में 15 फीसदी गिरा
पिछले 7 दिनों में सेंसेक्स में करीब 15 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। भारतीय स्टेट बैंक के शेयर भी पिछले 7 दिनों में सबसे अधिक गिर चुके हैं।