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कम हुए ‘ट्रिपल तलाक’ के मामले, लेकिन एक तलाक बोलने पर भी मिल रही मुकदमे की धमकियां

 कानपुर 
तीन तलाक कानून बनने के बाद सामान्य रूप से होने वाले तलाक के मामले मुस्लिम समाज में कम हो गए हैं। इसके विपरीत त्वरित तलाक के मामलों की संख्या बढ़ी है लेकिन इससे जुड़े मामले शरई कोर्ट नहीं बल्कि थानों में पहुंच रहे हैं। उलमा के एक अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि जो मामले थाने पहुंचे उसमें 90 फीसदी से ज्यादा में प्राथमिक स्तर पर यह साबित नहीं हो पाया कि एक बार में तीन तलाक बोला गया। 

सामान्य रूप से कुरआन में बताए गए नियम के अनुसार तलाक तीन तोहर (तीन चरणों) में बोला जाता है। इसे विधिवत तलाक माना जाता है। इसके विपरीत एक बार में तीन तलाक (त्वरित तलाक) का नियम भी परंपरा में रहा है जिस पर सरकार ने कानून बनाकर रोक लगा दी है। यदि कोई व्यक्ति एक ही बार में तीन तलाक कहता है तो उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जा सकती है और पति को जेल भी भेजा जा सकता है। 

क्यों घट रहे 'तलाक' के मामले : शहर में छोटी-बड़ी छह शरई कोर्ट (शरई पंचायत या दारुलकजा) हैं। पिछले एक माह में यहां केवल दो प्रकरण सामान्य तलाक के आए जिसमें तीन चरणों में तलाक दी जाती है। एक मामले में पति ने पत्नी को केवल एक बार तलाक कहा था। दूसरे मामले में पति दो बार तलाक कह चुका था। पर दोनों ही मामलों में पत्नी की ओर से चेतावनी दी गई कि अगर उन्हें दूसरी या तीसरी बार तलाक कहा गया तो वह तीन तलाक का मुकदमा दर्ज करा देंगी। इस पर शरई कोर्ट में पति-पत्नी की काउंसिलिंग कर दोनों ही रिश्ते टूटने से बचा लिए गए। एक बार में तीन तलाक को हथियार बनाने के ऐसे मामलों से सामान्य तलाक में कमी आ रही है।

ट्रिपल तलाक का अध्ययन जारी : शहर में तीन संस्थाएं थाने पहुंच रहे ट्रिपल तलाक के मामलों की स्वयं पड़ताल में लगी हैं। एक संस्था का कहना है कि अखबारों में प्रकाशित शहर के करीब 40 मामलों में केवल तीन या चार में प्राथमिकी दर्ज हो सकी। दूसरे मामलों में यह साबित करना मुश्किल हो रहा है कि पति ने तीन तलाक कहा। जिनमें प्राथमिकी दर्ज हुई उसकी भी हकीकत कोर्ट के फैसले के बाद ही साफ हो सकेगी। 

किसने क्य कहा
तलाक का बिल्कुल सही हिसाब कोई नहीं रख सकता। जरूरी नहीं है जो सामान्य तलाक दे वह किसी शरई कोर्ट या दारुल कजा को बताने आए। दारुल कजा में मामले सिर्फ विवाद की स्थिति में आते हैं। ट्रिपल तलाक पर अध्ययन करा रहे हैं इसमें ज्यादातर मामलों में सिर्फ आरोप दिख रहा है, सच्चाई कम है। – मौलाना आलम रजा नूरी, शहर काजी

एक-दो मामले सामने आए हैं जिसमें पति का कहना था कि हमने एक ही बार तलाक कहा है जबकि पत्नी कह रही थी तीन तलाक दिया है। ऐसे मामलों में कोई सुनवाई नहीं हुई है। हो सकता है आपस में ही विवाद को सुलझा लिया गया हो इसलिए कोई पक्ष नहीं आया। जो मामले थानों में जा रहे हैं, उनकी स्टडी अभी नहीं कराई है लेकिन कराएंगे। –  मौलाना मतीनुल हक ओसामा कासिमी, शहर काजी

महिला शरई कोर्ट में सामान्य तलाक से जुड़ा एक भी मामला नहीं आया। इस तरह की बातें जरूर सामने आई हैं कि जब तक सामान्य तलाक के लिए सहमति न हो तब तक तलाक देना आसान नहीं रह गया है। ट्रिपल तलाक को लेकर अध्ययन चल रहा है। पूरा अध्ययन होने के बाद ही इसका खुलासा किया जाएगा। इसमें सत्यता कम है। –  हाजी मोहम्मद सलीस, प्रवक्ता, महिला दारुल कजा

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