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कम नंबर के बावजूद सत्ता पाने की कोशिश से बीजेपी हुई शर्मिंदा!, पहले कर्नाटक और अब महाराष्ट्र

 नई दिल्ली/मुंबई
अजीत पवार ने बीजेपी से सत्ता के लिए पर्यात्प नंबर मुहैया कराने का वादा किया, बीजेपी को पवार की इस बात पर आंख मूंदकर भरोसा करना भारी पड़ गया। यहां पार्टी की किरकिरी कुछ ऐसी हुई जैसी हाल के कर्नाटक चुनाव के तुरंत बाद हुई थी।

2018 में कर्नाटक चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी, लेकिन बहुमत हासिल करने से महज 7 विधायक कम रह गए। इसके बाद बीजेपी की तरफ से विपक्षी दलों के विधायकों को अपनी तरफ लाने की कोशिश की गई। बीजेपी को उम्मीद थी कि 7 विधायक उनकी तरफ आ जाएंगे और इसी आशा के साथ बीएस येदियुरप्पा ने सीएम पद की शपथ ले ली। पर्याप्त नहीं मिल पाए और कुछ घंटों बाद ही उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। दोनों (पहले कर्नाटक और अब महाराष्ट्र) ही मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोटेम स्पीकर के नेतृत्व में फ्लोर टेस्ट कराने को कहा। दोनों ही मामलों में मुख्यमंत्रियों ने इस्तीफा देना बेहतर समझा।

महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव होने के बाद और झारखंड चुनाव से ठीक पहले बीजेपी से यह सवाल कई बार पूछा जाएगा कि क्या सत्ता हासिल करने के लिए अजित पवार के दावे पर भरोसा करना ठीक था? हो सकता है कि बीजेपी ने एनसीपी मुखिया शरद पवार को थोड़ा कम करके आंका हो। शायद इसीलिए विपरीत विचारधारा के बावजूद 2014 में बीजेपी को बिना शर्त समर्थन करने वाले शरद पवार का समर्थन इस बार नहीं मिला।

बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी की शुरुआती योजना यह थी कि शिवसेना की जीत के नतीजे को स्वीकार करे और खुद विपक्ष में बैठे। पार्टी को लगा था कि यह उनके लिए काफी बेहतर होगा कि तीन विपरीत विचारधाराओं की पार्टियों को सत्ता में संघर्ष करता देखे और फिर जनता के बीच उसका फायदा उठाए।

अपने इस्तीफे से पहले फडणवीस ने कहा था, 'अजित पवार ने अपना इस्तीफा मुझे सौंप दिया है और अब अब हमारे पास बहुमत नहीं है। हम विधायकों की खरीद-फरोख्त में भरोसा नहीं करते हैं। इसके बाद मैं राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफा उन्हें दूंगा।' फडणवीस के मुताबिक, अजित ने बीजेपी के साथ सत्ता में आगे न बढ़ने के लिए अपने व्यक्तिगत कारण बताए हैं। उन्होंने कहा कि अजीत ने बिना शर्त समर्थन दिया था, उन्होंने समर्थन क्यों वापस लिया इसका जवाब वह ही देंगे। जब उनसे पूछा गया कि क्या अजीत का बीजेपी को समर्थन देना शरद पवार के इशारे पर हुआ है, इस पर उन्होंने कहा कि इसका जवाब भी पवार से पूछना चाहिए।
 

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