मध्य प्रदेश

कमलनाथ सरकार करेगी मैग्निफिसेंट एमपी का आयोजन, होंगे कैबिनेट में बड़े एलान

भोपाल
मध्य प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा निवेश लाने के लिए कमलनाथ सरकार मैग्निफिसेंट एमपी का आयोजन करने जा रही है, इस इन्वेस्टर समिट में देश विदेश के उद्योगपति शामिल  होंगे| सरकार चाहती है बड़े उद्योगपति प्रदेश में निवेश करें, जिसके चलते सरकार इस समिट से पहले उद्योगों के लिए बड़े फैसले करने जा रही है| 15 अक्टूबर को प्रस्तावित कैबिनेट में बड़े एलान हो सकते हैं|

उद्योगों के लिए सरकार कई नीतिगत फैसले करेगी, वहीं कुछ पालिसी में बदलाव कर निवेशकों को राहत देने की कोशिश की जायेगी| जिससे निवेशक ज्यादा से ज्यादा निवेश के लिए आकर्षक हों| उद्योगों को एकमुश्त जमीन का दस साल का लीज रेंट चुकाने पर अगले दस साल किराया जमा करने से छूट देने की तैयारी है| वहीं कंपनी का नाम बदलने या अंशधारक बदल जाने पर लीज ट्रांसफर अब सिर्फ दस हजार रुपए किया जाएगा| इसके लिए अभी जमीन की लीज का दस प्रतिशत लगता है। जमीन का अधिक से अधिक उपयोग करने के लिए उद्योगों को मल्टी स्टोरी बनाने की छूट मिलेगी। इसके लिए फ्लोर रेश्यो एरिया बढ़ाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उद्योगों के लिए लागू जमीन आवंटन और निवेश प्रोत्साहन नीति को व्यावहारिक बनाने के निर्देश दिए हैं। इसके मद्देनजर उद्योग विभाग ने कई प्रस्ताव तैयार किए गए हैं, कैबिनेट बैठक में इन प्रस्तावों पर मुहर लग सकती है| अभी उद्योगों को जमीन मध्यप्रदेश भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम 2015 के तहत दी जाती है। सूत्रों के मुताबिक अब इस नियम में बदलाव किया जाएगा जिसके तहत यदि उद्योग दस का लीज रेंट (भू-भाटक) एकमुश्त जमा कर देती है तो उसे अगले दस के भू-भाटक से छूट दी जाएगी।

उद्योगों के साथ चर्चा में यह बात आई थी कि उद्योगों को विकसित क्षेत्र का 60 प्रतिशत इस्तेमाल करने और 1.25 फ्लोर एरिया रेश्यो पर निर्माण की अनुमति थी। दवा के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों की मांग थी कि इसे बढ़ाया जाए। इसके मद्देनजर सैद्धांतिक सहमति हुई है कि विकासित क्षेत्र के 75 फीसदी पर निर्माण की अनुमति रहेगी। फ्लोर एरिया रेश्यो दो प्रतिशत किया जाएगा। वहीं अब उद्योगों को मल्टी स्टोरी बनाने की इजाजत भी रहेगी।   इसके अलावा  दवा क्षेत्र की कंपनी को प्रयोगशाला में निवेश पर 25 प्रतिशत या 50 लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता देने पर विचार किया जा रहा है|  फार्मा निर्माण इकाई को बनने में समय लगता है। इसमें जो प्रोत्साहन दिया जाता है, वो भी तीन साल मिलता है, इसे बढ़ाकर पांच साल किया जाएगा।

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