नई दिल्ली
हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है इस दिन है चंद्रमा धरती पर अमृत की वर्षा करता है. शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा, माता लक्ष्मी और भगवा विष्णु की पूजा का विधान है.
शरद पूर्णिमा का चांद और साफ आसमान मॉनसून के पूरी तरह चले जाने का प्रतीक है. कहते हैं ये दिन इतना शुभ और सकारात्मक होता है कि छोटे से उपाय से बड़ी-बड़ी विपत्तियां टल जाती हैं. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इसी दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था. इसलिए धन प्राप्ति के लिए भी ये तिथि सबसे उत्तम मानी जाती है.
शरद पूर्णिमा का महत्व
कहा जाता है कि जो विवाहित स्त्रियां इस दिन व्रत रखती हैं उन्हें संतान की प्राप्ति होती है. जो माताएं इस व्रत को करती हैं उनके बच्चे दीर्घायु होते हैं. अगर कुंवारी लड़कियां ये व्रत रखें तो उन्हें मनचाहा पति मिलता है.
इस दिन प्रेमावतार भगवान श्रीकृष्ण, धन की देवी मां लक्ष्मी और सोलह कलाओं वाले चंद्रमा की उपासना से अलग-अलग वरदान प्राप्त किए जाते हैं.
शरद पूर्णिमा की रात में आकाश के नीचे खीर रखने की भी परंपरा है. इस दिन लोग खीर बनाते हैं और फिर 12 बजे के बाद उसे प्रसाद के तौर पर गहण करते हैं. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा आकाश से अमृत बरसाता इसलिए खीर भी अमृत वाली हो जाती है. ये अमृत वाली खीर में कई रोगों को दूर करने की शक्ति रखती है.
शरद पूर्णिमा कब है?
अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. इस साल शरद पूर्णिमा का पर्व 13 अक्टूबर, रविवार को है.
शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 अक्टूबर 2019 की रात 12 बजकर 36 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 अक्टूबर की रात 02 बजकर 38 मिनट तक
चंद्रोदय का समय: 13 अक्टूबर 2019 की शाम 05 बजकर 26 मिनट
शरद पूर्णिमा व्रत विधि
– पूर्णिमा के दिन सुबह में इष्ट देव का पूजन करना चाहिए
– इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए
– ब्राह्माणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए
– लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है. इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है
– रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए
– मंदिर में खीर आदि दान करने का विधि-विधान है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है
– रात 12 बजे के बाद अपने परिजनों में खीर का प्रसाद बांटें.