मध्य प्रदेश

एम्स प्रबंधन ने खोला एक गेट, दो पहिया वाहन चालकों को मिली राहत

एसडीएम का दौरा: पिपलिया पेंदे खां के गांव वालों का प्रदर्शन

भोपाल. एम्स प्रबंधन द्वारा पिपलिया पेंदे खां गांव के मुख्य मार्ग को बंद करने से कैद हुए रहवासियों का गुस्सा बुधवार को प्रबंधन के खिलाफ फूट पड़ा। ग्रामीणों ने सड़क पर आकर विरोध-प्रदर्शन किया। लगभग दो सौ साल पुराने रास्ते को एम्स प्रबंधन द्वारा बंद किए जाने से यहां की 10 हजार आबादी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

तानाशाह रवैया अपना रहा है एम्स
कोरोना के बाद लॉकडाउन के आड़ में रहवासियों का मुख्य मार्ग बंद करने वाला एम्स प्रबंधन अनलॉक के बाद भी तानाशाह रवैया अपनाते हुए रहवासियों के आने-जाने के मार्ग को अवरुद्ध कर रखा है। पिपलिया पेंदे खां के रहवासी सड़क पर उतरकर आंदोलन पर डटे हुए हैं।

एसडीएम के हस्तक्षेप पर खोला रास्ता
रहवासियों के विरोध के चलते एसडीएम राजेश त्रिपाठी, संयुक्त कलेक्टर राजेश गुप्ता, तहसीलदार मनीष सिंह, एसडीओपी अनिल त्रिपाठी, टीआई शैलेन्द्र शर्मा ने मौका स्थल का निरीक्षण किया। जनता के विरोध के बाद एम्स अस्पताल के अधिकारियों को बुलाया गया। एसडीएम के हस्तक्षेप के बाद एम्स प्रबंधन द्वारा एम्स के गेट नम्बर दो के एक भाग खोलने की अनुमति दी गई।

आसानी से पहुंच जाएंगे ग्रामीण
इस गेट से पिपलिया पेंदे खां के पैदल और दो पहिया वाहन चालक साकेत नगर मार्ग पर पहुंच सकेंगे। जिला प्रशासन की सहमति के बाद सड़क पर बैठकर रहवासियों ने आंदोलन समाप्त किया। विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए रहवासी राजेश चौकसे ने बताया कि एम्स प्रबंधक अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।

विरोध पर खोला एक गेट
लॉकडाउन की आड़ में वर्षों पुराने रास्ते में नाली खोदकर इस पर दीवार उठाने में नाकाम एम्स प्रबंधन के डायरेक्टर ने अब गेट नंबर 2 (जिससे रहवासी आते-जाते थे) उसे पूर्णत: बंद कर दिया है। डायरेक्टर और सिक्योरिटी इंचार्ज के आदेश पर यहां तैनात गार्डों द्वारा दोपहिया वाहनों को निकलने तक नहीं दिया जा रहा है। बुधवार को विरोध किया गया तो केवल गेट का एक ही भाग खोला गया है।

ग्रामीणों के लिए वर्षों पुराना है यह रास्ता
रहवासी लीलाकिशन चौकसे के अनुसार एम्स प्रबंधन के अधिकारियों की कथनी और करनी में अंतर है। रहवासी खिजरूल रहमान (भईया भाई) और शमी, जहीर अहमद के अनुसार जिस रास्ते को एम्स प्रबंधन द्वारा बंद किया जा रहा है, उस रास्ते से यहां के रहवासी तब से आ-जा रहे हैं, जब से भोपाल में पिपलिया पेंदे खां अस्तित्व में आया। सालों-साल से पिपलिया के रहवासियों का इसी पुराने रास्ते से आनाजाना है, लेकिन एम्स प्रबंधन अपनी मनमानी कर रहा है।

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