हेलिंस्की
राजीनितक अस्थिरता के दौर से गुजर रहे फिनलैंड की कमान 34 साल की सना मारिन को सौंपी गई है। सना सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं जो महिला नेतृत्व से भरी कैबिनेट का प्रतिनिधित्व करेंगी। देश की सत्ताधारी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी काउंसिल ने प्रधानमंत्री एंटी रिनी के इस्तीफे के बाद चुना है। सना ने कहा कि वह नई जिम्मेदारी उठाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। 2015 में सना संसद सदस्य के रूप में निर्वाचित हुईं। पहली बार वह 2019 में सरकार में शामिल हुईं और उन्होंने ट्रांसपॉर्ट और कम्युनिकेशन मंत्रालय का पद संभाला।
सना मारिन के नाम सबसे युवा प्रधानमंत्री का रेकॉर्ड
मारिन इस वक्त मौजूद दूसरे देशों के अपने समकक्ष की तुलना में काफी युवा हैं। न्यू जीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न 39 साल की हैं जबकि यूक्रेन के ओलिंस्की होन्चारुक 35 साल के हैं। नॉर्थ कोरिया के शीर्ष नेता किम जोंग-उन के बारे में कहा जाता है कि वह 35 साल के हैं। मारिन फिनलैंड की तीसरी महिला प्रधानमंत्री होंगी।
समलैंगिक पैरंट्स की संतान, एक बच्ची की मां
सना मारिन मौजूदा सरकार में ट्रांसपॉर्ट और कम्युनिकेशन मंत्री हैं और माना जा रहा है कि इसी सप्ताह वह पद और गोपनीयता की शपथ लेंगी। सेंटर-लेफ्ट गठबंधन का नेतृत्व मारिन के हाथों में होगा और उन्हें पांच अन्य पार्टियों के साथ मिलकर सरकार चलानी होगी। दिलचस्प बात है कि इन पांचों पार्टियों की प्रमुख महिलाएं हैं। मारिन ने प्रशासनिक विज्ञान में ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल की है। सना विवाहित हैं और एक बच्ची की मां हैं। दिलचस्प बात यह है कि उनकी परवरिश समलैंगिक पैरंट्स ने की है और वह अपने व्यक्तित्व का श्रेय अपने पैरंट्स को देती हैं।
"मैंने कभी अपनी उम्र या जेंडर को लेकर कुछ सोचा नहीं। मैं सिर्फ उन चीजों के बारे में सोचती हूं जिनसे मुझे राजनीति में आने की प्ररेणा मिली। मैं उन लोगों के भरोसे के बारे में सोचती हूं जिन्होंने चुनावी राजनीति में मेरी क्षमता पर विश्वास किया।"-सना मारिन
'मेरे लिए यह जिम्मेदारी, उम्र-जेंडर से नहीं पड़ता फर्क'
प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद आत्मविश्वास से भरपूर सना मारिन ने कहा कि उनके लिए कम उम्र या औरत होना कोई मायने नहीं रखता। मारिन ने कहा, 'मैंने कभी अपनी उम्र या जेंडर को लेकर कुछ सोचा नहीं। मैं सिर्फ उन चीजों के बारे में सोचती हूं जिनसे मुझे राजनीति में आने की प्ररेणा मिली। मैं उन लोगों के भरोसे के बारे में सोचती हूं जिन्होंने चुनावी राजनीति में मेरी क्षमता पर विश्वास किया।'
राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है फिनलैंड
फिनलैंड इस वक्त राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। डाक कर्मचारियों की हड़ताल से यह अस्थिरता शुरू हुई। पूरे देश में डाक कर्मचारी मेहनताने में कटौती को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। हालांकि, नवंबर के आखिरी सप्ताह में कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली, लेकिन प्रधानमंत्री ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।