भोपाल
राष्ट्रीय स्तर पर ईको सिस्टम को संतुलित करने के लिये वर्ष 2030 तक 6 प्रतिशत वन क्षेत्र बढ़ाना होगा। अविरल और निर्मल नदियों के लिये उनके कैचमेंट एरिया में पौधे लगाना जरूरी है। आईसीआईएमओडी काठमांडू (नेपाल) के चीफ पॉलिसी एडवाइजर बी.एम.एस. राठौर ने अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान में 'असरदार परिवर्तन-टिकाऊ परिणाम'' व्याख्यान-माला में 'फारेस्ट्री फॉर वेलबीइंग ऑफ पीपुल एण्ड ईकोसिस्टम'' विषय पर विचार व्यक्त करते हुए यह बात कही।
संस्थान के महानिदेशक आर. परशुराम ने कहा कि हमें वर्तमान के साथ भविष्य के बारे में भी सोचना होगा। उन्होंने कहा कि 'इंकार द्वारा मन बहलाव'' के सिद्धांत पर काम नहीं हो सकता। परशुराम ने कहा कि वर्तमान में क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग महत्वपूर्ण विषय है। अत्यधिक कार्बन उत्सर्जन से नई समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिये हम सबको मिलकर कार्य करने की जरूरत है। अगर कार्य आज शुरू करेंगे, तो उसके परिणाम आने वाले दिनों में दिखेंगे।
'रिवर कॉलिंग'' अभियान
राठौर ने कहा कि देश में 'रिवर कॉलिंग'' अभियान चलाने की जरूरत है। इस अभियान को जन-अभियान बनाने पर ही सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में वनीकरण के क्षेत्र में अच्छा काम हुआ है। प्रदेश को फिर टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है। राठौर ने छिन्दवाड़ा जिले में काराबोह वन के पुनरुद्धार के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि बाँस उत्पादन में किसान स्वयं आगे आ रहे हैं।
वन क्षेत्र में बढ़ें रोजगार के अवसर
राठौर ने कहा कि वन क्षेत्रों के साथ उसके आसपास रहने वाले लोगों का कौशल उन्नयन कर उन्हें रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाया जाना चाहिये। इससे वनों पर उनकी निर्भरता कम होगी। वन समितियों को माइक्रो प्लानिंग के लिये सहयोग करना होगा। राठौर ने अच्छे रहन-सहन (वेल बीइंग) के मुख्य बिन्दुओं पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में एक पीरियड हैप्पिनेस विषय का होता है।
संस्थान के प्रमुख सलाहकार मंगेश त्यागी ने विषय-वस्तु की जानकारी दी। व्याख्यान-माला में प्रमुख सलाहकार एम.एम. उपाध्याय, गिरीश शर्मा और अन्य अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।