नई दिल्ली
चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर शनिवार तड़के चांद की सतह पर उतरने के लिए तैयार है. देश-दुनिया के लोग शुक्रवार-शनिवार की दरम्यानी रात होने वाली इस 'सॉफ्ट लैंडिंग' का गवाह बनने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. विक्रम लैंडर की यह सॉफ्ट लैंडिंग अगर कामयाब रहती है तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा. इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश भी बन जाएगा.
विक्रम लैंडर शनिवार तड़के एक से दो बजे के बीच चांद पर उतरने के लिए नीचे की ओर चलना शुरू करेगा और रात डेढ़ से ढाई बजे के बीच यह पृथ्वी के उपग्रह के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस लम्हे को देखने के लिए इसरो के बेंगलुरु केंद्र में मौजूद रहेंगे. उनके साथ 60-70 स्कूली बच्चे भी होंगे जो देश भर से क्विज प्रतियोगिता के जरिए चुन कर लैंडिंग का सीधा प्रसारण देखने यहां मौजूद रहेंगे.
चांद पर उतरने की तैयारी
बता दें, इसरो के दूसरे डी-ऑर्बिटल ऑपरेशन के बुधवार को सफलतापूर्वक होते ही भारत का पहला मून लैंडर विक्रम सात सितंबर को चांद पर उतरने के लिए तैयार है. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के अनुसार, विक्रम का दूसरा डी-ऑर्बिटल ऑपरेशन बुधवार तड़के 3.42 बजे ऑनबोर्ड संचालन तंत्र का उपयोग करते हुए शुरू हुआ और नौ सेकेंड में पूरा हो गया.
विक्रम लैंडर की कक्षा 35 किलोमीटर गुणा 101 किलोमीटर की है. इसरो ने कहा कि इस ऑपरेशन के साथ ही विक्रम के चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए जरूरी ऑर्बिट प्राप्त कर ली गई है. इसरो के अनुसार, विक्रम चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सात सितंबर को तड़के डेढ़ बजे से ढाई बजे के बीच उतरेगा.
विक्रम के चांद पर उतरते ही रोवर लैंडर उसमें से निकल आएगा और रिसर्च शुरू कर देगा, जिसके लिए उसे बनाया गया है. इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर अपनी 96 किलोमीटर गुणा 125 किलोमीटर की मौजूदा कक्षा में चांद के चारों तरफ घूम रहा है और दोनों- ऑर्बिटर और लैंडर सही काम कर रहे हैं. सोमवार दोपहर को विक्रम चंद्रयान-2 से अलग हो गया था. भारत की कुल 978 करोड़ रुपये की इस परियोजना के तहत चंद्रयान-2 को भारी रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क 3 (जीएसएलवी-एमके 3) के जरिए 22 जुलाई को लॉन्च किया गया था.