भोपाल
इस पत्र में इस तथ्य की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट किया गया है कि भारत सरकार ने एक अध्यादेश के माध्यम से पारंपरिक सिगरेट के लिए एक सुरक्षित विकल्प पर प्रतिबंध लगाया है। यह एक ऐसा विकल्प है जो मध्य प्रदेश में सिगरेट पीने वाले दस लाख लोगों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
पत्र में मप्र सरकार से आग्रह किया गया है कि वह नागरिकों के हितों में काम करते हुए केन्द्र सरकार से कहे कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग को पारम्परिक सिगरेट के उभरते हुए विकल्प ई सिगरेट का मूल्यांकन करने के लिए स्वतंत्र अध्ययन करने की अनुमति प्रदान करे जिसे अन्य 70 देशों ने प्रतिबंधित करने के बजाय उनका नियमन किया है।
भारत में ई- सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक अध्यादेश लाने के केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के हालिया कदम के मद्देनजर, स्वयंसेवी संगठन ट्रेंड्स (टीआरईएनडीएस) ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उनसे इस बात का मूल्यांकन करने का अनुरोध किया है कि वह खुद देखें कि राज्य के नागरिक के सर्वोत्तम हित में क्या है। ट्रेंड्स इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) उपकरणों के आयातकों, वितरको और विक्रेताओं का एक समूह है जो भारत में इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) के व्यापार प्रतिनिधियों का स्वैच्छिक संगठन है।
मध्य प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ को लिखे अपने पत्र में, ट्रेंड्स (टीआरईएनडीएस) ने इस बात को रेखांकित किया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने तंबाकू सेवन करने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले विभिन्न तरीकों से जुड़े जोखिमों का तुलनात्मक आकलन या अध्ययन या कोई शोध नहीं किया है और उसने सभी राज्यों को ई सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने का परामर्श भेज दिया है। मंत्रालय ने भारत में ई- सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले को सही ठहराने के लिए अमेरिका से प्राप्त आंकड़ों को आधार बनाया है।
ट्रेंड्स (टीआरईएनडीएस) के संयोजक प्रवीण रिखी ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाते हुए कहा, ‘हम आपसे अनुरोध करते हैं कि मध्य प्रदेश के नेता के रूप में आप केंद्र सरकार से कहें कि वह राज्य के स्वास्थ्य विभाग को इस बारे में अपना शोध और अध्ययन करने की अनुमति दे ताकि कोई ऐसा तर्कसंगत फैसला लिया जा सके जो राज्य के ज्यादा से ज्यादा लोगों के हित में हो।’’
उन्होंने कहा, ‘‘स्वास्थ्य राज्य विषयक मामला है और तंबाकू के सेवन से जुड़ी बीमारियों के इलाज पर होने वाले अत्यधिक खर्च का बोझ राज्य के खजाने पर पडता है। अगर हमारे पास सिगरेट सेवन का एक सुरक्षित विकल्प है, जो कैंसर होने के मामलों में 50 प्रतिशत तक कमी कर देता है, तो आपके राज्य को धूम्रपान करने वालों के समक्ष इस विकल्प को क्यों नहीं पेश करना चाहिए? खासकर जब मध्य प्रदेश में तंबाकू सेवन करने वालों और सिगरेट पीने वालों का प्रतिशत क्रमशः 34.2 प्रतिशत और 10.4 प्रतिशत है। ”
ट्रेंड्स (टीआरईएनडीएस) ने मध्य प्रदेष के मुख्यमंत्री के समक्ष इस बात को रेखांकित किया कि ई सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने वाला केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का अध्यादेश ‘‘चुनिंदा वैज्ञानिक और चिकित्सकीय राय’’ पर आधारित है। हितधारकों की एक भी बैठक के बगैर इस तरह का फैसला लेना लोकतांत्रिक तौर तरीकों की हत्या के अलावा कुछ और नहीं है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉ. अतुल अंबेर समेत विश्व के प्रसिद्ध चिकित्सकों एवं वैज्ञानिकों ने आईसीएमआर के उन चार दावों में से हर दावे को खारिज किया है जिन दावों के आधार पर ई सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया गया और जिन दावों के आधार पर यह प्रतिबंध लगाया गया। ट्रेंड्स ने मुख्यमंत्री का ध्यान ई सिगरेट से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों की ओर भी दिलाया है जिन पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने समुचित ध्यान नहीं दिया।
पत्र में कहा गया है कि 70 देशों ने ई- सिगरेट श्रेणी को सुरक्षित तरीके से संबंधित सुरक्षा उपायों के साथ धूम्रपान करने वालों व्यस्कों तक पहुंच को अनुमति दी है। ये सुरक्षा उपाय ई लिक्विड घटकों, विज्ञापन, प्रचार, ट्रेडमार्क, स्वास्थ्य चेतावनी संबंधी लेबल और बाल सुरक्षा मानदंडों समेत बिक्री, उत्पादन, वितरण, उपयोग और उत्पाद डिजाइन से संबंधित हैं। इस समय केवल 28 देशों ने प्रतिबंध लगाया है जिनमें से कई विनियमित करने के बारे में विचार कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर यूएई ने हाल ही में प्रतिबंध हटा लिया। जिन देशों में ई- सिगरेट को विनियमित किया जा रहा है वहां धूम्रपान की दर में काफी गिरावट आई है (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और कई अन्य)। एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अनेक देश की सरकारें एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान परम्परागत सिगरेट की तुलना में ई- सिगरेट को काफी हद तक सुरक्षित मानते हैं (पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड, कैंसर रिसर्च, ब्रिटेन, रॉयल कालेज ऑफ़ फिजिशियंस, सेंटे प्यूब्लिक फ्रांस और कई अन्य)।
ट्रेंड्स (टीआरईएनडीएस) ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ से अनुरोध किया कि वे पद का उपयोग करते हुए केन्द्र सरकार, खास तौर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से अनुरोध करें कि संसद के अगले सत्र में ई- सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने के बारे में अंतिम फैसला लेने से पहले सार्वजनिक स्वास्थ्य, राज्य के खजाने, किसान और व्यापार रोजगार और वयस्क उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों पर विचार-विमर्श किया जाए।