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इन्फ्राटेल-इंडस डील से भरेगा सरकारी खजाना

नई दिल्ली
डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशन (DoT) ने देश की सबसे बड़ी मोबाइल टावर कंपनी इंडस टावर्स का भारती इन्फ्राटेल के साथ विलय की शुक्रवार को मंजूरी दे दी। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। इस विलय के बाद बनने वाली संयुक्त कंपनी के पास देशभर में 1,63,000 से अधिक दूरसंचार टावर हो जाएंगे, जिनका परिचालन सभी 22 दूरसंचार सेवा क्षेत्रों में हो रहा है। विलय से बनने वाली संयुक्त कंपनी चीन को छोड़ शेष विश्व की सबसे बड़ी टावर कंपनी होगी।

डील से वोडा आइडिया और एयरटेल, दोनों को फायदा
इस संयुक्त कंपनी का नाम बदलकर अब इंडस टावर्स लिमिटेड हो जाएगा और यह कंपनी घरेलू शेयर बाजारों में सूचीबद्धता जारी रखेगी। इस कंपनी के पास भारती इन्फ्राटेल और इंडस टावर्स के कारोबार का पूर्ण स्वामित्व होगा। इस सौदे का समय पर पूरा होना काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया के लिए कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचकर पैसे जुटाने के विकल्प खुलेंगे। इंडस टावर्स में अभी भारती इन्फ्राटेल और वोडाफोन समूह की 42-42 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसमें वोडाफोन आइडिया की भी 11.15 प्रतिशत हिस्सेदारी है। भारती इन्फ्राटेल में एयरटेल की बहुत बड़ी हिस्सेदारी है।

वोडा आइडिया 4500 करोड़ जुटा पाएगी
माना जा रहा है कि वोडाफोन आइडिया इस डील से करीब 4500 करोड़ रुपये जुटा पाएगी। इस रकम का इस्तेमाल कंपनी एजीआर बकाए का भुगतान करने में करेगी। कंपनी पर करीब 52000 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है।

अप्रैल 2019 में हुई थी डील
2018 में हुई डील के टर्म के मुताबिक, नई कंपनी में शेयर बेचकर वोडाफोन आइडिया निकल जाएगी। बाद में इसमें भारती एयरटेल की हिस्सेदारी 37.20 फीसदी और वोडाफोन ग्रुप की हिस्सेदारी 29.40 फीसदी रह जाएगी। भारती इन्फ्राटेल और इंडस टावर के बीच 23 अप्रैल 2019 को करार हुआ था। अभी तक इस डील को DoT से अप्रूवल नहीं मिला था।

 

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