नई दिल्ली
इन्फोसिस के CEO सलिल पारिख और CFO नीलांजन रॉय कदाचार के आरोपों से बुरी तरह से घिर गए हैं. कर्मचारियों के एक अनाम समूह ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं. ग्रुप ने कहा है कि कंपनी का मुनाफा ज्यादा दिखाने के लिए उन्होंने निवेश नीति और एकाउंटिंग में छेड़छाड़ किया है और ऑडिटर को अंधेरे में रखा है. इस समूह का कहना है कि उसके पास अपने आरोपों के प्रमाण में ई-मेल और वायस रिकॉर्डिंग भी है.
'एथिकल एम्प्लॉइज' नाम के इन्फोसिस के इस अज्ञात कर्मचारियों के समूह ने इन्फोसिस बोर्ड के साथ ही अमेरिका के सिक्यूरिटीज ऐंड एक्सचेंज कमीशन को एक विस्फोटक लेटर लिखकर आरोप लगाया है कि ज्यादा मुनाफा और रेवेन्यू कमाने के लिए कंपनी ने 'अनैतिक' आचरण का सहारा लिया है. यह लेटर 22 सितंबर को ही लिखा गया था.
इन्फोसिस बोर्ड को लेटर लिखकर भेजी गई अपनी शिकायत में कर्मचारियों के ग्रुप ने कहा है कि उन्होंने प्रमाण की कॉपियां मेल के साथ अटैच की हैं और वे इस मामले की तत्काल जांच चाहते हैं. लेटर के अनुसार, 'वायस रिकॉर्डिंग और ई-मेल से यह पता चलता है कि किस तरह से CEO और CFO ने ऑडिटर को नजरअंदाज कर ये काम किए और ऑडिटर को बदल देने की भी धमकी दी.'
क्या हैं गंभीर आरोप
लेटर में आरोप लगाया गया है कि इन्फोसिस के सीईओ सलिल पारेख ने बड़े सौदों की समीक्षा रिपोर्ट को नजरअंदाज किया और ऑडिटर तथा कंपनी बोर्ड से मिली सूचनाओं को छिपाया. लेटर में कहा गया है कि 'सलिल पारेख ने उनसे कहा गया कि मार्जिन दिखाने के लिए गलत अनुमान पेश करें और उन्होंने हमें बड़े सौदों के मसले पर बोर्ड में प्रजेंटेशन पेश करने से रोका.'
इन्फोसिस के सीएफओ नीलांजन रॉय पर यह आरोप भी लगाया गया है कि उन्होंने बोर्ड और ऑडिटर की जरूरी मंजूरी लिए बिना 'निवेश नीति और एकाउंटिंग' में बदलाव किए ताकि शॉर्ट टर्म में इन्फोसिस का मुनाफा ज्यादा दिखे.
रेवेन्यू में हेराफेरी
लेटर में आरोप लगाया गया है कि कर्मचारियों के इस समूह को चार्ज नहीं लेने दिया जा रहा, क्योंकि इससे 'कंपनी के मुनाफे और शेयर कीमत पर असर पड़ सकता था.' लेटर में कहा गया है कि उन्होंने 'वेरिजॉन, एबीएन, इंटेल और जापान जेवी सौदों में हासिल रेवेन्यू के आंकड़े में अनियमितता के बारे में प्रमाण दिए हैं. इसमें CFO निलांजन रॉय की वायस रिकॉर्डिंग भी है, जिसमें वह यह कह रहे हैं कि ऐसी जानकारी कंपनी के ऑडिटर और बोर्ड से साझा न की जाए.