एक दिवसीय वेबिनार में जीवन प्रबंधन के विविध आयामों पर की चर्चा, मध्यप्रदेश की प्रमुख संस्थानों के करीब 90 प्रतिभागी हुए शामिल
भोपाल. जीवन साइकिल चलाने के समान है, जिसे संतुलित करने के लिए निरंतर चलना पड़ता है। जिस दिन हम रुक गए उस दिन हम भी गिर पड़ेगे विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के इस प्रेरक वाक्य से जीवन प्रबंधन को ऐसे ही कई छोटे छोटे उदाहरणों से समझाते हुए मुख्य वक्ता बीएचईएल भोपाल के पूर्व गु्रप जनरल मैनेजर विजय जोशी ने कोरोना आपदा के दौरान हमारे जीवन को किस तरह से सकारात्मक दिशा दी जा सकती है, इस पर प्रकाश डाला।
अपनी पुस्तकों से प्राप्त रायल्टी को शहीदों के आश्रित परिवार को समर्पित करने वाले इंजीनियर विजय जोशी ने उदाहरणों के साथ राम चरित्र मानस में लाइफ मैनेजमेंट के गुर बतलाए। उन्होंने कहा कि इंसान अपने साथ टाइम बैंक लेकर आया है, जिससे कर्म रूपी के्रडिट एवं डेबिट हो रहा है।
ग्रंथों के अध्ययन से एक नवीन दृष्टिकोण प्राप्त होता है
इंडियन सोसायटी फॉर टेक्निकल एजुकेशन मध्यप्रदेश चैप्टर एवं सरदार वल्लभभाई पॉलिटेक्निक महाविद्यालय, भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय वेबिनार में जीवन प्रबंधन के विविध आयामों पर चर्चा की गई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सम्राट अशोक अभियांत्रिकी महाविद्यालय विदिशा के डायरेक्टर डॉ. जनार्दन चौहान रहे। उन्होंने भारतीय संस्कृति के पुरातन प्रतिनिधि ग्रंथों का समसामयिक महत्व बताते हुए कहा कि जब-जब भी इनका अध्ययन किया जाता है, तो एक नवीन दृष्टिकोण प्राप्त होता है।
जीवन प्रबंधन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण आवश्यकता है
पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशीष डोंगरे ने कहा कि समय का प्रबंधन, जीवन प्रबंधन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण आवश्यकता है, अत: समय को साधना सीखना चाहिए। अपने चिरपरिचित रोचक अंदाज से वेबिनार का संचालन करते हुए डॉ. मुकेश मिश्रा ने जीवन में शांति की ओर अग्रसर होने के विभिन्न चरणों पर चर्चा की। मध्यप्रदेश की प्रमुख संस्थानों के करीब 90 प्रतिभागी वेबिनार में उपस्थित रहें।