भोपाल
इंदौर-भोपाल के बीच एक्सप्रेस-वे को ग्लोबल विजन के साथ तैयार किया जाएगा। इसके लिए दुनिया का टॉप मल्टीनेशनल कंपनियों को इस एक्सप्रेस-वे के किनारे जमीन दी जाएगी। इस जमीन के जरिए ही पैसे का इंतजाम करके सरकार एक्सप्रेस वे विकास करेगी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंत्रालय में इसके प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस प्रोजेक्ट को इंदौर-भोपाल सिक्स लेन एक्सेस कंट्रोल ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे नाम दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने मंत्रालय में भोपाल-इंदौर एक्सप्रेस-वे के प्रस्तावित मॉडल का प्रस्तुतिकरण देखने के बाद कहा कि यह प्रदेश का ऐसा एक्सप्रेस-वे बने, जो आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने और रोजगार की उपलब्धता का एक बड़ा केन्द्र बने। उन्होंने इसे पी.पी.पी. मॉडल का विश्व-स्तरीय कॉरिडोर बनाने के निर्देश दिए। इसके लिए दुनिया की शीर्ष कंपनियों को इस प्रोजेक्ट में लाने के लिए कहा।
प्रोजेक्ट का पहला चरण तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा है। प्रोजेक्ट की अवधि को ध्यान में रखकर एक को-आर्डिनेशन कमेटी का भी प्रस्ताव है, जिसमें एसीएस वन, एसीएस वित्त, एसीएस योजना, पीएस उद्योग, पीएस पीडब्ल्यूडी, पीएस नगरीय विकास, कमिश्नर भोपाल व उज्जैन, कलेक्टर भोपाल, रायसेन, सीहोर व देवास रहेंगे। इस प्रोजेक्ट के तीन चरण होंगे। पहला चरण तीन साल में पूरा होगा, जिसमें ईपीसी मोड (इंजीनियरिंग, प्रिक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन) के तहत 2000 हेक्टेयर क्षेत्र का विकास होगा। इसके बाद पीपीपी अथवा ईपीसी मोड के तहत बाकी के तीन चरणों में आगामी 10 वर्ष तक 2000-2000 हैक्टेयर का विकास होगा। इस टाउनशिप में सीसी रोड, स्मार्ट पार्किंग, ट्रेफिक मानिटरिंग एंड कंट्रोल, वेयरहाउस, तौल चौकियां, ट्रक टर्मिनल, इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर, एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग, स्काडा, सीसीटीवी सर्विलांस, चौबीस घंटे सिक्यूरिटी, कमर्शियल सेंटर, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट व हॉस्पिटल व इंफ्रास्ट्रक्चर की अन्य चीजें शामिल होंगी।
एक्सप्रेस-वे पर यदि बाद में ट्रैफिक बढ़ता है तो दो-लेन के सर्विस रोड में छेड़छाड़ किए बिना इसे आठ लेन में बदला जा सकेगा। इसका विकल्प अभी खुला रखा गया है। यह एक्सप्रेस वे मंडीदीप के इटिया गांव से देवास के कर्णावत गांव तक बनेगा। इसकी दूरी 148.8 किमी रहेगी। इससे भोपाल-इंदौर के बीच की दूरी भी घटेगी। भोपाल-इंदौर एक्सप्रेस-वे से तीन कॉरिडोर और जुड़ेंगे। इनमें जबलपुर-भोपाल फोरलेन (327 किमी) पहला, कांडला-ध्रंगाधरा-अहमदाबाद-गोधरा-दाहोद-इंदौर-देवा-भोपाल (1038 किमी) दूसरा और तीसरा बैतूल-भोपाल (166 किमी) होगा। बैतूल और जबलपुर कॉरिडोर भोपाल के पास मिलेंगे। कांडला वाला देवास और सागर वाला भोपाल में मिलेगा।
जमीन अधिग्रहण पर राज्य सरकार खर्च करेगी 530 करोड़
- एक्सप्रेस-वे में फारेस्ट की 158.25, सरकार की 35.16 और निजी क्षेत्र की 857 हेक्टेयर जमीन होगी। अधिग्रहण पर 530 करोड़ रु. राज्य सरकार खर्च करेगी।
- इकोनॉमिक कॉरिडोर का हिस्सा होगा एक्सप्रेस-वे, डीपीआर बनाएगी फीडबैक इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड।
- भोपाल के बड़झिरी से करणावद के बीच 119.9 किमी का छह-लेन का एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेस-वे। मंडीदीप से बड़झिरी तक 26.9 किमी का वेस्ट सर्दर्न फोरलेन बायपास।