मध्य प्रदेश

आरजीपीवी के सुपर 20 दो साल में तैयार करेंगे नैनो सेटेलाइट

भोपाल
सपनों को जीने एवं कुछ कर गुजरने की तमन्ना से ही जीवन में लक्ष्य हासिल होता है, विश्वविद्यालय द्वारा नैनो सेटेलाइट के निर्माण में शोधार्थी एवं विद्यार्थियों को शामिल करना एक वैश्विक अवसर है जिसे एक एडवेंचर के रूप में लेते हुए हम पूरे मनोयोग के साथ काम करेंगे।भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान के वैज्ञानिक के साथ काम करना रोमांचिक होगा क्योकि इसरो ने स्वेदेशी तकनीक के साथ चंद्रयान, मंगलयान अभियान एवं अन्तरिक्ष अनुसन्धान के क्षेत्र में उल्लखेनीय उपलब्धियां हासिल कर देश का गौरव पूरी दुनिया में बढाया है। कार्यशाला के उपरांत लिखित परीक्षा एवं इंटरव्यू द्वारा 16 स्नातक छात्र, 82 एमटेक एवं 02 पीएचडी के शोधार्थियों इस प्रकार कुल 20 विद्यार्थियों का चयन किया जायेगा जो आगामी दो वर्षो तक नैनो सेटेलाइट की डिजाईन एवं अन्य कार्यो में अपनी सहभागिता देंगे! उक्त विचार  राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनील कुमार गुप्ता ने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन विभाग यूआईटी आरजीपीवी द्वारा कल तक विश्वविद्यालय में  नैनो उपग्रह के लिए तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ कल हो गया है।

उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. आरके राजंगम ने कहा कि अन्तरिक्ष अनुसंधान के कार्य में उच्च  शिक्षा संस्थानों का जुड़ना युवाओं के लिए न केवल अन्तरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में कार्य करना है बल्कि तकनीकी क्रांति के क्षेत्र में अपनी पैठ वैश्विक स्तर पर बनाना है। युवाओं के इस उत्साह को बरकरार रखने के लिए वैज्ञानिक सदैव तत्पर रहते है। इसरो ने विगत पांच दशकों की यात्रा में सुरक्षा, कृषि, मौसम विज्ञान, जनसंचार एवं आम आदमी की  जीवन शैली को उन्नत बनाने के लिए सस्ती स्वदेशी तकनीक पर काम करके सेटेलाइट अन्तरिक्ष में छोड़े है, आज अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत दुनिया के अग्रणीय देशों में है। उदघाटन सत्र में कार्यशाला की प्रस्तावना डॉ.संजय शर्मा ने प्रस्तुत की, सत्र का संचालन वैदेही विजयवर्गीय एवं मोहिका अग्रवाल ने किया।

कार्यशाला के प्रथम तकनीकी सत्र में ओवरव्यू आॅफ सेटेलाइट टेक्नोलॉजी एंड एप्लीकेशन विषय पर आरके राजंगम, द्वितीय सत्र में पेलोड सिस्टम पर एम वेंकट राव , तृतीय सत्र में सेटेलाइट स्ट्रक्चर विषय पर एमवी कन्नन, चतुर्थ सत्र में थर्मल मैनेजमेंट पर एसजी बर्वे एवं पांचवे सत्र में डिप्लोय्मेंट मैकेनिज्म एंड लांच  वेहिकल इंटरफेस पर एमवेंकट राव ने प्रतिभागियों के बीच अपने विचार व्यक्त किये। जिसमे उन्होंने उपग्रह की आधार व्यवस्था, उपयोजन तंत्र,तापमान नियंत्रण प्रणाली,उपग्रह की उदघाटन प्रणाली, उपग्रह निर्माण के लिए मटेरियल एवं बेट्री का चयन, सोलर पेनल का डिजाईन एवं तैनाती, पेलोड का चयन, उपग्रह का उपयोग एवं उपग्रह लॉन्चिंग से सम्बंधित पैरामीटर एवं उनके चयन को विस्तारपूर्वक समझया।  

 

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