नई दिल्ली
हिंदू धर्म में काल भैरव को भगवान शिव का ही स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि काल भैरव की उपासना करने से व्यक्ति के सभी संकट दूर हो जाते हैं। इस बार आज यानी 19 नवंबर, मंगलवार को काल भैरव अष्टमी मनाई जा रही है। इस दिन शुभ मुहूर्त में सच्चे दिल से प्रभु की उपासना करने से व्यक्ति अपने सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं आखिर किस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से काल भैरव अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं।
काल भैरव की पूजा करने का शुभ मुहूर्त-
काल भैरव अष्टमी की शुरुआत 19 नवंबर को शाम 3 बजकर 35 मिनट पर हो जाएगी।
काल भैरव अष्टमी का समापन 20 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 41 मिनट पर होगा।
काल-भैरव व्रत करने की विधि-
– काल-भैरव का उपवास करने वाले भक्तों को सुबह नहा-धोकर सबसे पहले अपने पितरों को श्राद्ध व तर्पण देने के बाद भगवान काल भैरव की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
-2. इस दिन व्रत रखने वाले मनुष्य को पूरे दिन उपवास रखकर रात के समय भगवान के सामने धूप, दीप, काले तिल,उड़द, सरसों के तेल के दीपक के साथ भगवान काल भैरव की आरती करनी चाहिए।
3. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता होता है इसलिए व्रत खोलने के बाद व्रती को अपने हाथ से बनाकर कुत्ते को जरूर कुछ खिलाना चाहिए।
4. इस तरह पूजा करने से भगवान काल भैरव अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखते हैं।
5- माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति पूरे मन से काल भैरव भगवान की पूजा करता है तो उस पर भूत, पिचाश, प्रेत और जीवन में आने वाली सभी बाधाएं अपने आप ही दूर हो जाती हैं।
काल भैरव भगवान की पूजा करते समय इस मंत्र का करें जाप:
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!