अयोध्या
वर्ष 2019 का अंतिम ग्रहण गुरुवार को पौष कृष्ण अमावस्या के अवसर पर सूर्यग्रहण के रुप में लगेगा। यह खंडग्रास सूर्यग्रहण भारत, पाकिस्तान, चीन व खाड़ी देशों सहित दुनिया के अन्य भागों में देखा जा सकेगा। भारत में ग्रहण के दिखाई देने के कारण सूतक माना जाएगा। शास्त्रीय विधान के अनुसार सूर्यग्रहण के स्पर्श के 12 घंटे पहले सूतक लग जाएगा। पंचांगों के अनुसार भारतीय समयानुसार गुरुवार को ग्रहण का स्पर्श प्रात: 8.17 बजे होगा। इस ग्रहण की कुल अवधि दो घंटा चालीस मिनट है। इस लिहाज से ग्रहण का मोक्ष पूर्वाह्न 10.57 बजे होगा।
ग्रहण के स्पर्श के मुताबिक सूतक बुधवार की रात सवा आठ बजे से लगेगा। इसके चलते शयन आरती के बाद मंदिरों के पट बंद हो जाएंगे और फिर दोपहर बाद दूसरी पाली में ही खुलेंगे। ज्योतिष विशेषज्ञ अरुण सिंहल बताते हैं कि बुधवार को ही मंगल का राशि परिवर्तन होगा। वह तुला से वृश्चिक में प्रवेश करेंगे। वहीं गुरुवार को ग्रहण के साथ ही धनु राशि में केतु के साथ छह ग्रहों की युति हो रही है। इसके कारण सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक व सामरिक हर दृष्टि से अशुभ संकेत मिल रहे हैं।
राजनीतिक उथल-पुथल, सत्ता परिवर्तन, प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप, अत्यधिक बर्फबारी से सर्दी का सितम रहेगा। आर्थिक मंदी, स्वर्ण की मांग में कमी व पेट्रोलियम पदार्थों के कीमतों में वृद्धि के भी संकेत हैं। धनु राशि का ग्रहण प्रधान पुरुषों, मंत्रियों व उद्योगपतियों के लिए भी कष्टप्रद होगा।
अयोध्या धाम ज्योतिष संस्थान के संस्थापक आचार्य राकेश तिवारी के अनुसार प्राय: ग्रहण का प्रभाव सभी के अशुभकारी ही होता है। फिर भी यह सूर्यग्रहण धनु, कन्या एवं वृष राशि के लिए विशेष अशुभकारी रहेगा। इस राशि के जातकों को अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहने की जरुरत है अन्यथा संकट का सामना करना पड़ेगा। इन सभी जातकों के लिए अपने-अपने ईष्ट की आराधना राहत देने वाली होगी। इस ग्रहण का न्यूनतम प्रभाव कर्क, तुला और कुंभ राशि पर पड़ेगा। इस राशि के जातकों को भयभीत होने की जरुरत नहीं है। फिर भी अपने-अपने ईष्ट की आराधना से शुभ लाभ प्राप्त कर सकते हैं।