नई दिल्ली
असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) में की अंतिम सूची जारी कर दी गई है। जिस राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को लेकर आज असम के साथ-साथ पूरे देश में चर्चा है, उसके पीछे इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर से आईएएस अधिकारी बने प्रतीक हजेला हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर से-आईएएस अधिकारी बने प्रतेक हजेला असम में राष्ट्रीय रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) को अपडेट करने के लिए भारत के सबसे चर्चित और महत्वपूर्ण नौकरशाहों में से एक रहे हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो एनआरसी की सूची में तैयार करने में इनकी अहम भूमिका रही है। बता दें कि एनआरसी की अंतिम सूची से 19 लाख 6 हजार 657 लोगों को बाहर कर दिया गया है। सूची में जिनके नाम नहीं हैं उनके पास नागरिकता सिद्ध करने के लिए 120 दिन का समय है। ऐसे लोग विदेशी ट्राइब्यूनल में अपील कर सकेंगे।
हजेला ने अकेले ही एनआरसी प्रक्रिया का आधारभूत ढांचा खड़ा कर दिया था। गुवाहाटी के व्यस्त जीएस रोड में एक बहु-मंजिला इमारत की पहली मंजिल पर अपने कार्यालय में रहते हुए 50 वर्षीय आईआईटी-दिल्ली के पूर्व छात्र रहे प्रीतक हजेला ने एक टीम बनाई, जिसमें 55,000 अधिकारी शामिल थे और इस पूरी प्रक्रिया में करीब 1200 करोड़ रुपये खर्च हुए और 66.4 मिलियन दस्तावेजों का निरीक्षण किया गया।
हजेला को सितंबर 2013 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार की सिफारिशों पर राज्य समन्वयक के रूप में नियुक्त किया गया था। उस समय वह राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के प्रबंध निदेशक के रूप में सेवारत थे। मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा कि "हजेला को हमारी सिफारिश पर नियुक्त किया गया था और क्योंकि उन्हें सक्षम माना जाता था,"
गुवाहाटी सहित 10 वर्षों तक डिप्टी कमिश्नर के रूप में काम करने वाले हजेला ने खुद को इस कवायद में शामिल कर लिया कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने राज्य और केंद्र से नियमित रूप से अपडेट मांगना शुरू कर दिया। आखिरी ड्राफ्ट में 3.29 करोड़ आवेदकों को वेरिफिकेशन पर हजेला की पैनी नजर थी। एनआरसी असम के संयोजक के तौर पर प्रतीक हजेला के पास 3.29 करोड़ लोगों के करीब 6.6 करोड़ कागजात की छानबीन की जिम्मेदारी थी।
प्रतीक हजेला 1995 बैच के एक IAS अधइकारी हैं और मूल रूप से मध्यप्रदेश के भोपाल के रहने वाले हैं। उनके पिता एसपी हजेला मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के अफसर थे और उनके छोटे भाई अनूप हजेला भोपाल के एक प्रतिष्ठित डॉक्टर हैं। हजेला असम-मेघालय कैडर के अधिकारी हैं। उन्होंने आइआइटी दिल्ली से 1992 में इलेक्ट्रानिक्स में बी-टेक किया है।