भोपाल
प्रदेश सरकार के तमाम दावों के बाद भी मध्यप्रदेश में अवैध खनन पर रोक नहीं लग पा रही है। अच्छी खबर यह है कि इस मामले में उप्र ने प्रदेश को पीछे छोडक़र जरूर कुछ राहत दी है। उवैध खनन के मामले में उप्र पहले स्थान पर है। यह बात अलग है कि इस मामले में जुर्माना वसूलने में जरुर प्रदेश पहले स्थान पर है। मप्र में सर्वाधिक मामले गौड़ खनिज में रेत के अवैध उत्खनन के मामले दर्ज हुए हैं। यह खुलासा भारतीय खान ब्यूरो की जारी रिपोर्ट में हुआ है।
मध्यप्रदेश वैसे भी इन दिनों खनिज विभाग मैदानी अमले की कमी से परेशान है, यही वजह है कि विभाग द्वारा करीब 500 पद सरकार से मागे गए हैं। अवैध उत्खनन के अधिक मामलों की वजह विभाग के आला अधिकारी वर्ष २०१८ रेत नीति को दोषी मान रहे है। खनिज अधिकारियों का कहना है कि पंचायतों को रेत खदान देने से अवैध खनन के मामले बढ़े हैं। अब नई रेत नीति २०१९ से इन पर लगाम कसेगी। आबीएम के अनुशार प्रदेश में तीन साल में अवैध उत्खनन के मामले लगातार बढ़े है। इनमें सबसे ज्यादा मामले रेत और गिट्टी के हैं। कई जिलों में विभाग सिर्फ खनिज इंस्पेक्टरों के भरोसे हैं। माफिया से मुकाबला करने के लिए इन अफसरों को खटारा गाड़ी दे रखी है। ऐसे में अधिकारी जब मौके पर पहुंचते हैं, तब तक माफिया भाग चुके होते हैं।
नाथ सरकार के एक साल में कम हुआ अवैध खनन
आईबीएम की रिपोर्ट के अनुशार पूरे प्रदेश में अवैध खनन पिछले साल की तुलना में कम हुआ है। २०१८ देश में 116198 मामले अवैध खनन में दर्ज किए गए थे। ये 2019 में घटकर 115492 हो गए हैं। इसमें करीब 700 मामलों में कमी आई है। इससे उलट मप्र में वर्ष 2018 में 15205 मामले दर्ज किए गए थे।, जो बढक़र 2019 में 16405 हो गए है।
सबसे ज्यादा वसूली मप्र में
अवैध उत्खनन के मामले में सबसे ज्यादा १६०० करोड़ की वसूली मध्यप्रदेश में की गई है। जबकि सबसे ज्यादा अवैध उत्खनन के मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए हैं। वसूली के नाम पर महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है। यहां 700 करोड़ की वसूली की गई है।
बढ़ रहे हैं न्यायालयीन मामले
प्रदेश में अवैध उत्खनन से न्यायालयीन मामले भी बढ़ रहे हैं। वर्ष २०१८ में करीब 25 हजार मामले थे। ये 2019 में बढक़र 26 हजार हो गए हैं। विभाग के अधिकारियों और पुलिस विभाग की संयुक्त कार्रवाई में तीन साल के अंदर लगभग ढाई हजार वाहनों को जप्त किया गया है।