चेन्नई
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, केंद्र सरकार की राज्यों के फंड में कटौती की कोई योजना नहीं है। चेन्नई में उद्योग व्यापारियों से बातचीत करते हुए वित्तमंत्री ने यह भरोसा दिलाते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह मजबूत है और देश में विदेशी निवेश अब तक के शीर्ष पर है। सीतारमण ने कहा, हम अभी तक 14वें वित्तीय आयोग की सिफारिशों के आधार पर राज्यों को राशि दे रहे हैं।
अब हम 15वें वित्तीय आयोग की रिपोर्ट का भी पूरा सम्मान करेंगे। तमिलनाडु को जीएसटी में उसकी हिस्सेदारी बहुत जल्द दो किश्तों में लौटा दी जाएगी। एमएसएमई क्षेत्र के भुगतान के लिए वित्तमंत्री ने कहा, हमने सुनिश्चित किया है कि सितंबर, अक्तूबर और नवंबर तक के भुगतान कर दिए गए हैं। कुल बकाया के 60 फीसदी का भुगतान किया गया है। वित्त सचिव राजीव कुमार ने कहा, बजट में कृषि क्षेत्र का विशेष ध्यान रखा गया है। कृषि के लिए कुल 2.83 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
वित्तमंत्री ने कहा, अगर कोई बैंक बिना किसी ठोस कारण के एमएसएमई उद्यमियों को कर्ज देने से मना करे तो इसकी शिकायत ई मेल द्वारा सीधे सरकार के विशेष केंद्रों को करें। बहुत जल्द इन केंद्रों की घोषणा की जाएगी। इन शिकायतों की एक प्रति बैंक प्रबंधक को भी भेजनी होगी। उन्होंने कहा कि सरकार बैंकिंग अधिकारियों की सहभागिता बढ़ाने की योजना बना रही है।
वित्तमंत्री ने कहा, भारत 8 फीसदी की विकास दर पर पहुंचेगा और सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। गौर करने की बात है कि 2019 वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए मुश्किलों भरा रहा है ऐेसे में देश की विकास दर धीमी रही है। हालांकि इन सब के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था फिर भी मजबूत स्थिति में है।
अमेरिका में भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने कहा है कि साल 2024 तक भारतीय अर्थव्यवस्था के पचास खरब डॉलर के लक्ष्य को पाने में अमेरिका की बड़ी भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि व्यापार मामले में अमेरिका भारत का तरजीह देश है। संधू ने यह बातें शुक्रवार को उनके सम्मान में अमेरिकी-भारत सामरिक एवं साझेदार फोरम द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कही।
संधू ने कहा कि अमेरिका और भारत के संबंधों में सहयोग क्षमता असीम है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2024 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को मौजूदा तीस खरब डॉलर से पचास खरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है और 2030 तक 100 खरब डॉलर का। उन्होंने कहा कि इस अर्थव्यवस्था की इस यात्रा में पीएम मोदी ने ने स्पष्ट कर दिया है कि व्यापार मामले में अमेरिका भारत का तरजीह देश होगा।
दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच मजबूत रिश्तों के कारण दोनों ही देशों के संबंधों में और प्रगाढ़ता आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एवं भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी के बीच पिछले साल चार बार मुलाकात हुई। उन्होंने कहा दोनों ही देशों के औद्योगिक समुदाय के लोग इन संबंधों को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
दो हजार से ज्यादा अमेरिकी कंपनियां भारत में है और करीब 200 भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में 18 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया हुआ है, जिससे एक लोगों को सीधे रोजगार मिल रहा है। साल 2018 में दोनों देशों के बीच निवेश 60 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। वहीं साल दर साल दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार दस फीसदी की दर से बढ़ रहा है। 2019 में यह 160 अरब डॉलर का था।