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अर्थव्यवस्था गिरे तो सांसदों-विधायकों का वेतन काटा जाए

नई दिल्ली
आम बजट से पहले जनता ने केंद्र सरकार को कई दिलचस्प सुझाव दिए हैं। एक सुझाव में कहा है कि अर्थव्यवस्था में गिरावट आए तो उसकी भरपाई सांसदों और विधायकों के वेतन में कटौती से की जाए। एक अन्य है सरकारी कर्मियों को मोबाइल बिल, अखबार, स्टेशनरी आदि के लिए मिलने वाली प्रतिपूर्ति खत्म की जाए।

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्त वर्ष 2020-21 के बजट को आम जनता की उम्मीदों और महत्वाकांक्षाओं का बजट बनाने के लिए सरकारी पोर्टल ‘माईगव डॉट इन’ पर सुझाव आमंत्रित किए हैं। शनिवार (18 जनवरी) रात 11 बजे तक 17800 से अधिक सुझाव दिए जा चुके हैं।

राहुल रमेश नाम के शख्स ने अलग-अलग धर्मों के लोगों को तीर्थयात्रा के लिए दी जानी वाली सब्सिडी और धार्मिक संस्थाओं को मिलने वाली कर छूट खत्म करने की वकालत की। उन्होंने संबंधित रकम का इस्तेमाल शिक्षा-स्वास्थ्य क्षेत्र में करने का सुझाव दिया।

विपुल वर्मा ने सलाह दी कि सरकार कोयला आधारित बिजली संयंत्रों पर निर्भरता घटाने के लिए बेहतर ‘सिबिल स्कोर’ वाले उपभोक्ताओं को सौर पैनल उपलब्ध कराए। इनकी लागत उपभोक्ताओं से किस्तों में उनके बिजली बिल में होने वाली कटौती के हिसाब से वसूली जाए।

सुरेंद्र जैन नाम के एक व्यक्ति ने सरकार से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि निजी क्षेत्र में कार्यरत कर्मियों को समय पर तनख्वाह मिले। वेतन जारी करने में देरी पर आवास ऋण सहित अन्य किस्तों और बिल के भुगतान में देरी पर लगने वाले जुर्माने की क्षतिपूर्ति कंपनियां करें।

ये सुझाव भी सामने आए

  •  केंद्र सीमा पर तैनात जवानों का एक करोड़ का टर्म इंश्योरेंस कराए।
  •  एफडी और आरडी जैसी योजनाओं पर ब्याज दर बढ़ाई जाए।
  •  निजी कंपनियों को कौशल विकास केंद्र खोलने को प्रेरित किया जाए।
  •  75 पार बुजुर्गों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराए केंद्र।
  •  रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं पर जीएसटी दर घटाई जाए।
  •  आईआईएम और आईआईटी छात्रों के लिए दो साल देश में नौकरी अनिवार्य हो।

 

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