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अरब सागर से उठने वाला भीषण चक्रवात ‘महा’ गुजरात की ओर

अहमदाबाद
अरब सागर से उठने वाला भीषण चक्रवात 'महा' गुजरात की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इसका असर मध्यम हवाओं और हल्की बारिश के साथ आज से ही दिखना शुरू हो गया है। मौसम विभाग के अनुसार, 6 नवंबर की रात या 7 नवंबर की सुबह चक्रवात 'महा' के गुजरात के पोरबंदर और दीव के बीच समुद्री तट से टकराने की संभावना है, जहां 100 से 120 किलोमीटर प्रति घंटे की तेजी से हवाएं चलेंगी। तेज हवाओं के साथ-साथ ही तटीय इलाकों में भारी बारिश की आशंका जताई जा रही है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार सुबह चक्रवात महा की स्थिति और तैयारियों का जायजा लेने के लिए अधिकारियों के साथ बैठक की।

120 किमी प्रति घंटा तक होगी रफ्तार
मौसम विभाग के अनुसार, चक्रवात 'महा' पोरबंदर और दीव के बीच गुजरात के तट पर बुधवार रात या गुरुवार सुबह तक पहुंचने वाला है। समुद्री तट से चक्रवात के टकराने पर उठने वाली हवाओं की रफ्तार 100 से 120 किमी प्रति घंटे तक हो सकती है जिसके बाद भारी बारिश के आसार हैं। वेदर फॉरकास्ट एजेंसी के अनुसार, सौराष्ट्र और गुजरात क्षेत्र (जूनागढ़, गिर सोमनाथ, अमरेली, भावनगर, सूरत, भरूच, आणंद, अहमदाबाद, बोटाड, पोरबंदर, राजकोट) के तटीय इलाकों में 6 नवंबर को भारी बारिश के आसार हैं।

खरीफ की फसलों को हो सकता नुकसान
इसके अलावा भावनगर, सूरत, भरुच, आणंद, अहमदाबाद, बोटाड, वडोदरा में 7 नवंबर को मध्यम से भारी बारिश की संभावना है। चक्रवाती तूफान 'महा' गुजरात से खरीफ की फसलों को नुकसान पहुंचने की आशंका है। इससे खेत में तैयार खड़ी मूंगफली की फसल नष्ट हो सकती है। मौसम विज्ञान केंद्र ने चक्रवात 'महा' को बेहद गंभीर चक्रवाती तूफान की श्रेणी में रखा है।

तूफान से निपटने की तैयारी
चक्रवात 'महा' से निपटने के लिए एनडीआरएफ की 15 टीमें तैनात हैं। इसके अलावा अतिरिक्त 15 टीमों का आवेदन भी किया गया है। साइक्लोन महा के खतरे को देखते को नौसेना भी पूरी तरह तैयार है। पश्चिमी नौसेना कमान के जहाज राहत सामग्रियों के साथ राहत कार्य के लिए तैयार हैं। गुजरात नेवल एरिया की नौसेना इकाइयां भी इमर्जेंसी रिस्पॉन्स टीमों के साथ मुस्तैद हैं। समुद्र में मछली पकड़ने गईं नावों को भी वापस लाया जा रहा है। कुल 1,2600 नावें इस समय समुद्र की ओर गई थीं जिनमें से सिर्फ 600 नावें का वापस लाना बाकी रह गया है। इसके अलावा मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है।

54 साल बाद अरब सागर में एक के बाद दूसरा तूफान
साल 1965 के बाद पहली बार ऐसा होगा कि अरब सागर में लगभग 10 दिनों के अंतराल में दूसरा चक्रवाती तूफान (पहले क्यार और अब महा) प्रचंड रूप लेने जा रहा है। ऐसे में महाराष्ट्र को एक हफ्ते के बाद दूसरी बार चक्रवाती तूफान से जूझना होगा। इस साल 2019 में अरब सागर चार चक्रवाती तूफान का केंद्र रहा है और इसने मौसम वैज्ञानिकों को भी हैरत में डाल दिया है। मौसम विज्ञानी इसके पीछे प्रमुख वजह ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन बता रहे हैं।

पीएम मोदी ने अधिकारियों की साथ की बैठक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार सुबह तूफान महा के खतरे के मद्देनजर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करके हालातों का जायजा की। इस बैठक में पीएम मोदी के प्रधान सचिव और मुख्य सलाहकार भी मौजूद थे।

भारत के दूसरे टी-20 मैच पर भी असर?
7 नवंबर को राजकोट में होने वाले भारत-बांग्लादेश के दूसरे टी-20 मैच पर चक्रवात महा का साया मंडरा रहा है। बारिश के कारण मैच के धुलने के आसार हैं। यह मैच राजकोट के खंढेरी स्थित सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन (एससीए) स्टेडियम में खेला जाना है। महा चक्रवात के 6 नवंबर की रात या 7 नवंबर की सुबह दीव और पोरबंदर के बीच समुद्री तट से टकराने की संभावना है इसलिए गुरुवार को राजकोट में बारिश की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

प्रदूषण से मिलेगी राहत
तूफान से दक्षिण कोंकण और दक्षिण महाराष्ट्र के निचले इलाकों में भी हल्की से मध्यम बारिश के आसार हैं। उत्तर भारत के मैदानी भागों में उत्तर पश्चिमी शुष्क हवाएं चलनी शुरू हो गई हैं। इससे देश की राजधानी दिल्ली के साथ दूसरे उत्तर भारत इलाकों को प्रदूषण से राहत मिलेगी।

ओमान ने दिया नाम
चक्रवात महा इस सीजन अरब सागर से उठने वाले चक्रवाती वायु और क्यार के बाद तीसरा तूफान है। ओमान देश ने इस तूफान का नाम दिया है। दरअसल, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से उठने वाले चक्रवात के नामकरण के लिए 2000 में 8 देश एक साथ आए हैं। इन देशों में बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्री लंका और थाईलैंड हैं।

सभी देशों ने नामों का एक सेट सौंपा था जिनके आधार पर एक-एक करके चक्रवातों का नामकरण हुआ। सितंबर 2004 में इस लिस्ट का बनना शुरू हुआ और फिर 8 देशों ने कुल 64 नाम सुझाए गए थे। इस साल इससे पहले फानी, वायु, हिक्का और क्यार चक्रवात आ चुके हैं। महा के बाद आने चक्रवातों का नाम बुलबुल, पवन और अंफान होगा।

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