नई दिल्ली
राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या मामले में हिंदू पक्ष की दलीलें पूरी होने से अब नवंबर के महीने में सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आने की संभावना बढ़ गई है। आपको बता दें कि 2.77 एकड़ राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की जमीन के मालिकाना हक को लेकर कानूनी लड़ाई पिछले 70 वर्षों से चल रही है। शुक्रवार को हिंदू पार्टियों ने अपनी दलीलें पूरी कर लीं, जिन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जमीन का दो-तिहाई हिस्सा दिया था। मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 6 अगस्त से शुरू हुई थी और अब मुस्लिम पक्ष सोमवार से अपनी दलीलें रखेगा।
अब तक चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड, अशोक भूषण और एस. अब्दुल नजीर की बेंच ने कम समय में रामलला, निर्मोही अखाड़ा, ऑल इंडिया राम जन्मस्थान पुनरुर्त्थान समिति, हिंदू महासभा के दो धड़े, शिया वक्फ बोर्ड और गोपाल सिंह विशारद के कानूनी उत्तराधिकारी (दिसंबर 1949 में बाबरी मस्जिद के भीतर मूर्तियां स्थापित किए जाने के बाद 1951 में पहला मुकदमा किया था) की दलीलें सुनीं। बेंच ने वकीलों से साफ कहा था कि वे अपना अलग तर्क रखें और दूसरे की बातों को दोहराएं नहीं।
इस समय हफ्ते में सात दिन सुनवाई चल रही है जिससे मामला तेजी से आगे बढ़ा। हालांकि सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने इसका यह कहकर विरोध किया था कि इससे तैयारी करने के लिए समय नहीं मिलेगा। हालांकि कोर्ट ने उनकी बात नहीं मानी।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में कोर्ट के गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि बेंच सीजेआई के रिटायर होने से पहले ही फैसला सुना सकता है। विवादित जमीन का दो तिहाई हिस्सा, जिसे मिला उसकी सुनवाई पूरी होने से अब जल्द फैसला आने की संभावना बढ़ गई है। धवन ने पहले कहा था कि वह अपनी दलीलों के लिए 20 दिन का समय लेंगे। अगर धवन इतना समय लेते भी हैं तब भी सुप्रीम कोर्ट के पास एक महीने से ज्यादा का समय फैसला लेने के लिए होगा। अब फिलहाल सबकी नजरें सोमवार को हैं, जब मुस्लिम पक्षों की दलीलें शुरू होंगी।