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अब उलेमा कौंसिल ने किया अखिलेश यादव का विरोध, बोले Twitter वाला नेता

आजमगढ़
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री व आजमगढ़ सांसद अखिलेश यादव का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है. एक तरफ जहां कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने सांसद को लापता बनाकर पोस्टर वार शुरू कर दिया है वहीं उलेमा कौंसिल ने अखिलेश को विरासत वाला नेता बताया है और दावा किया कि अगर अखिलेश यादव जमीन पर काम कर सांसद अथवा सीएम बने होते तो आज ट्वीट की राजनीति के बजाय अपने संसदीय क्षेत्र की जनता के साथ खड़े होते.

मीडिया से बात करते हुए उलेमा कौंसिंल के राष्ट्रीय प्रवक्ता तलहा आमिर ने कहा कि अखिलेश यादव आसमान में उड़ने वाले नेता हैं, जो चुनाव में हेलीकाप्टर से आते हैं और चले जाते हैं, फिर उनकी वापसी अगले चुनाव में ही होती है. उन्होंने कहा कि 'अखिलेश यादव को पहले विरासत में सीएम की कुर्सी मिल गयी फिर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष की कुर्सी भी उन्होंने विरासत में हासिल कर ली. अब विरासत में उन्हें आजमगढ़ के सांसद का पद मिल गया है. अखिलेश जी चुनाव में हैलिकाप्टर से आये और लौट गए अब फिर चुनाव में आएंगे'. उन्होंने सपा अध्यक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि 'अखिलेश जी अगर जमीन पर काम करते तो उन्हें जनता का दुख-दर्द पता होता और वे उनके दुख को समझते हुए आज उनके साथ खड़े होते.

अपनी प्रेस कांफ्रेंस में लगातार अखिलेश पर हमलावर रहे तलहा आमिर ने कहा 'वो सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. सपा अध्यक्ष के नाते मैं उनपर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता. यह उनकी पार्टी का आंतरिक मामला है वो किसे अध्यक्ष चुनते हैं. लेकिन वे आजमगढ़ के सांसद भी हैं और मैं उनके संसदीय क्षेत्र का मतदाता हूं. मतदाता होने के कारण मुझे उनसे शिकायत है कि आज जब हमारी बहन-बेटियों का उत्पीड़न हुआ. उनपर लाठी चार्ज किया गया, एक महिला जो अस्पताल में जिंदगी-मौत से जूझ रही है लेकिन यहां के सांसद अखिलेश जी सिर्फ ट्वीट कर रहे हैं.

आज उन्हें उत्पीड़न के शिकार लोगों के साथ खड़ा होना चाहिए था'. उन्होंने कहा कि पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने 12 बिंदुओं पर जांच की है. जिसमें यह साफ हुआ है कि धरना-प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण था. फिर भी लोगों को देशद्रोह के मुकदमें में फंसा दिया गया है. बिलरियागंज में एनसीआर और सीएए के खिलाफ प्रदर्शन किसी एक संगठन का हाथ नहीं था. बल्कि तमाम दलों और संगठनों के लोग इसमें शामिल थे.

उन्होंने सवाल किया कि आखिर एकाएक तीन बजे इंटेलीजेंस की रिपोर्ट कैसे आ गयी. अगर पुलिस का दावा सही है कि आंदोलन में शामिल लोग ईंट-पत्थर, हथियार लिए थे तो उसका फुटेज कहां हैं. आखिर पथराव के लिए रात को तीन बजे का समय ही क्यों चुना गया. इन सवालों का जवाब पुलिस को देना होगा. सभी लोगों को सोची-समझी साजिश के तहत फर्जी मुकदमें में फंसाया गया है. अगर पुलिस फर्जी मुकदमें वापस नहीं लेते है तो हम आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. तलहा ने दावा किया कि पुलिस की बर्बरता के शिकार लोग डरे हुए हैं. डर के मारे लोग शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं.

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