नई दिल्ली
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को उसका नया अध्यक्ष सौरभ गांगुली के रूप में मिल गया है। दुनिया में आज भारतीय टीम का दबदबा बना है तो इसकी शुरुआत सौरभ गांगुली ने ही की थी। मजबूत भारतीय टीम तैयार करने की बुनियाद सौरभ गांगुली ने तब रखी थी, जब वर्ष 2000 में उन्हें टीम इंडिया का कप्तान चुना गया। बीसीसीआई अध्यक्ष बने सौरभ गांगुली से क्रिकेट बिरादरी और उनके फैन्स को यह उम्मीदें हैं कि दादा यहां सबकुछ सही ट्रैक पर ले आएंगे। क्योंकि वह क्रिकेट असोसिएशन ऑफ बंगाल (CAB) मे प्रशासक के तौर पर भी खुद को साबित कर चुके हैं और टीम इंडिया के कप्तान भी रह चुके हैं। ऐसे में दादा खिलाड़ियों का पक्ष और उनकी जरूरतों को भी समझते हैं और प्रशासनिक तौर पर मैनेजमेंट की कार्यशैली से भी परिचित हैं।
…तो क्या अनिल कुंबले बने रहते टीम इंडिया के कोच!
अब एक पल के लिए इंग्लैंड में आयोजित हुई चैंपियंस ट्रोफी 2017 के समय को भी याद कीजिए। इस टूर्नमेंट के दौरान यहां भारतीय टीम के कप्तान और कोच में आपसी तकरार सामने आई। यह तकरार इतनी अधिक हो गई थी कि कोच और कप्तान इस अहम टूर्नमेंट में एक-दूसरे से बात भी नहीं कर रहे थे। टूर्नमेंट खत्म होते ही कोच अनिल कुंबले ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अनिल कुंबले की कोचिंग में टीम इंडिया कामयाब हो रही थी और उनका दोबारा कोच बनना भी तय दिख रहा था। लेकिन कप्तान-कोच की तकरार ने सारे समीकरणों को बदल कर रख दिया। अब अगर यह मामला आज सामने आता, जब सौरभ गांगुली बीसीसीआई के अध्यक्ष हैं तो क्या होता?
कप्तान-कोच की तकरार का गांगुली ने भी किया है सामना
एक बार कोच-कप्तान की तकरार का शिकार खुद दादा बने थे, जब ग्रेग चैपल की कोचिंग के दौरान गांगुली के हाथ से न सिर्फ टीम इंडिया की कप्तानी गई थी बल्कि उन्हें करीब डेढ़ साल तक टीम इंडिया से बाहर भी बैठना पड़ा था। कोहली-कुंबले तकरार मामले का एक पहलू यह भी था कि अनिल कुंबले भारतीय टीम का कोच गांगुली के चाहने के बाद ही बने थे। गांगुली ने ही कुंबले से कोच पद के लिए आवेदन करने को कहा था और उनकी अध्यक्षता में ही तब की क्रिकेट अडवाइजरी कमिटी (CAC) ने अनिल कुंबले को कोच नियुक्त किया था।
गांगुली के नेतृत्व वाली CAC ने कुंबले को चुना था कोच
सभी जानते हैं कि भारतीय टीम का कोच अनिल कुंबले सौरभ गांगुली के समर्थन से ही बने थे। गांगुली के नेतृत्व में ही तीन सदस्यीय क्रिकेट अडवाइडरी कमिटी (CAC) ने अनिल कुंबले को टीम इंडिया का कोच बनाने की सिफारिश की थी। इस समिति में सौरभ के अलावा सचिन तेंडुलकर और वीवीएस लक्ष्मण थे।
2017 में विराट की पसंद रवि शास्त्री बने टीम इंडिया के कोच
इस दौरान भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का कामकाज सुप्रीम कोर्च द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (CoA) देख रही थी। जब कप्तान और कोच में सुलह की सारी संभावनाएं खत्म होती दिखीं, तो फिर विराट कोहली के सबसे पंसीदादा शख्स रवि शास्त्री को ही मुख्य कोच नियुक्त किया गया। कोच और कप्तान की इस तकरार क्रिकेट के कई जानकार और फैन्स ने विराट कोहली के व्यवहार पर नाराजगी जताई थी। अब जरा सोचिए उस वक्त बोर्ड के अध्यक्ष सौरभ गांगुली होते तो क्या अनिल कुंबले की ऐसी विदाई संभव थी?
कोहली-कुंबले तकरार के समय बोर्ड के अध्यक्ष गांगुली होते, तो….
विनोद राय से इस विषय पर चर्चा करने के बाद एक रिपोर्ट छापी है। विनोद राय ने कहा कि कोहली-कुंबले तकरार अगर आज सामने आती तो सौरभ गांगुली भी इस विषय पर यही निर्णय लेते, जो उनके समय में लिया गया। विनोद राय के मुताबिक शायद तब इस बात की संभावना बहुत अधिक होती कि गांगुली अगर तब बोर्ड अध्यक्ष होते तो वह विराट की बात न मानकर अनिल कुंबले को ही टीम का कोच बनाए रखते। राय के मुताबिक इससे टीम इंडिया में समस्याएं हल नहीं होतीं बल्कि बढ़ती हीं। ड्रेसिंग रूम में कोच और कप्तान के संबंध ही सही नहीं होते तो फिर खेल को भी नुकसान होता। ऐसे में ऐसा ठीक ही हुआ कि यह मसला गांगुली के अध्यक्ष बनने से पहले ही आया। राय ने कहा कि हमारे पास उस वक्त बेस्ट कोच के रूप में अनिल कुंबले मौजूद थे और अगर उनका बस चलता तो वह कुंबले का कार्यकाल आगे दोबारा आगे बढ़ाते। लेकिन जब कोच-कप्तान में ही आपस में नहीं बनी तो फिर कोच बदलना ही सही लगा।
कुंबले के प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान: विनोद राय
हालांकि विनोद राय ने अनिल कुंबले की जमकर तारीफ की है। 71 वर्षीय राय ने कहा कि उनके मन में कुंबले के प्रति बहुत सम्मान और इज्जत है, जिन्होंने कप्तान से असहमति होने पर अपना पद छोड़ना ही सही समझा। राय ने खुलासा किया कि जब यह बात उनके सामने आई थी तो उन्होंने पहले विराट कोहली इस विषय पर लंबी चर्चा की थी। इसके बाद इस मुद्दे को लेकर उन्होंने बारी-बारी सचिन तेंडुलकर और सौरभ गांगुली से भी बात की थी। रायच ने कहा, 'जब ड्रेसिंग रूम में अगर कप्तान और कोच के बीच मनमुटाव हो तो फिर आपके सामने कोच को हटाने का ही विकल्प बचता है और हमने ठीक यही किया।