नई दिल्ली
शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Election 2020) में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को समर्थन देने का ऐलान किया है. SAD के प्रमुख सुखबीर बादल ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की. उन्होंने कहा कि ये कोई राजनीतिक गठबंधन नहीं है. ये भावनात्मक गठजोड़ है जो पंजाब के लोगों और सिख लोगों के हित के लिए है. हमारी पार्टी को 100 साल होने वाले हैं. हमें सिख संगत का समर्थन हासिल है.
समर्थन का ऐलान करते हुए सुखबीर बादल ने कहा, बीजेपी नेतृत्व जैसा कहेगी, वैसा ही हमारी पंजाब और दिल्ली इकाई काम करेगी. प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रहे. उन्होंने समर्थन के लिए SAD का आभार जताया. बता दें, इससे पहले SAD ने दिल्ली विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था. SAD ने इसके पीछे वजह नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को बताया था.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, मैं आभारी हूं शिरोमणि अकाली दल का कि उन्होंने दिल्ली चुनाव में बीजेपी को समर्थन देने का फैसला किया है. अकाली दल के साथ हमारा गठबंधन सबसे पुराना है, हम सुखबीर बादल के आभारी हैं.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि हमने टिकट या सीट को लेकर नहीं बल्कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर ये फैसला किया है. उन्होंने कहा कि गठबंधन पहले की तरह चलता रहेगा, लेकिन हम दिल्ली का चुनाव नहीं लड़ेंगे.
20 साल से कायम है गठबंधन
शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने मंगलवार को कहा था कि पंजाब में बीजेपी के साथ उनकी पार्टी का गठबंधन बरकरार है, जो कि 20 साल से है. उन्होंने कहा, "मैं पिछले 20 सालों से सुन रहा हूं कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन टूट रहा है. मगर यह बरकरार है और पिछले 20 सालों से कायम है." उनकी पत्नी हरसिमरत कौर बादल नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में मंत्री हैं.
सुखबीर बादल ने कहा, "राज्य में शांति और समृद्धि लाने के लिए गठबंधन आवश्यक है." बागी अकालियों की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस की 'बी टीम' का हिस्सा थे, जिसका उद्देश्य मूल शिरोमणि अकाली दल को कमजोर करना था, जो एक सदी पहले बनी थी.
अमरिंदर सिंह की चुनौती
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पिछले हफ्ते अकालियों को केंद्र में गठबंधन छोड़ने की चुनौती दी थी. क्योंकि शिरोमणि अकाली दल ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के मुद्दे पर बीजेपी के साथ मतभेदों के चलते दिल्ली विधानसभा चुनाव से किनारा कर लिया था. इसलिए मुख्यमंत्री सिंह ने इस कानून के संबंध में शिरोमणि अकाली दल की ईमानदारी साबित करने के लिए उन्हें केंद्र में भगवा पार्टी का साथ छोड़ने की चुनौती पेश की थी. पंजाब के मुख्यमंत्री ने सीएए के मुद्दे पर हरसिमरत कौर बादल को इस्तीफा देने की नसीहत भी दी थी.