रांची
हेमंत सरकार में कैबिनेट गठन की कवायद तेज हो गई है। इस स्वरूप को लेकर गुरुवार को भी गठबंधन के प्रमुख नेताओं के बीच बैठकों के दौर जार रहा। इस दौरान कांग्रेस द्वारा पांच मंत्री पद मांगने की बात सामने आई है। इसके अलावा कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष का पद भी मांगा है। अभी राज्य के भावी मंत्रिपरिषद में झामुमो और कांग्रेस के बीच हिस्सेदारी तय नहीं हो पाई है। दोनों दलों के बड़े नेताओं पर इस मसले को 28 दिसंबर की शाम तक सुलझाने का दबाव है।
आरपीएन सिंह के 27 दिसंबर की शाम में पहुंचने की संभावना है। इसलिए 27 दिसंबर की देर रात या 28 दिसंबर की शाम में मंत्रिमंडल की हिस्सेदारी तय करने के लिए दोनों नेता निर्णायक बैठक करेंगे। झामुमो विधानसभाध्यक्ष का पद कांग्रेस को देने के लिए तैयार है। कांग्रेस के खाते में पांच मंत्री देना झामुमो को थोड़़ा ज्यादा लग रहा है।
क्या चाहती है झामुमो
झामुमो नेतृत्व का मानना है कि कैबिनेट की सात सीट उसके खाते में मिले। चार सीट कांग्रेस के जिम्मे रहे। एक सीट पर पर हेमंत सोरेन की मर्जी से खुला विकल्प रहे। तात्कालिक परिस्थिति के हिसाब से इस पर राजद विधायक या किसी निर्दलीय को बैठाया जाए।
क्या चाहती है कांग्रेस
कैबिनेट में सात सदस्य झामुमो को देने पर कोई आपत्ति नहीं है। परंतु, पांच सदस्य कांग्रेस के लिए तय करने पर नेतृत्व अड़ा है। इसके अलावा स्पीकर पद की भी मांग है। राजद को कांग्रेस मंत्री पद नहीं देना चाहती है। कांग्रेस नेतृत्व राजद को बोर्ड या निगम के चेयरमैन का पद देने के सुझाव दे रही है।
राजद क्या चाहती है
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने मंत्री पद पर दावे का संकेत झामुमो और कांग्रेस नेताओं को दिया है। राजद सूत्रों ने बताया कि लालू प्रसाद का कहना है कि उनकी पार्टी से भले ही एक विधायक जीता है, लेकिन झारखंड में राजद का सामाजिक जनाधार बड़ा है। इस जनाधार का फायदा भी झामुमो और कांग्रेस को कई सीटों पर मिला है। इसलिए उनकी पार्टी का कैबिनेट में एक सीट के लिए स्वाभाविक दावा बनता है।
झाविमो के मंत्रिमंडल में शामिल होने पर संशय
हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल में झाविमो के शामिल होने पर संशय अभी बरकरार है। फिलहाल झाविमो ने अपने तीन विधायकों के समर्थन सरकार को बाहर से देने की घोषणा की है। इनमें से किसी एक के भी मंत्रिमंडल में शामिल होने पर अभी झामुमो और कांग्रेस के बीच सहमति नहीं बन पाई है।