छत्तीसगढ़

स्वाहा..की गूंज व पूणार्हूति से महायज्ञ का हुआ समापन

रायपुर
माघ के महीने में गुप्तनवरात्रि पर आयोजित नौ दिवसीय दिव्य सहस्त्र चंडी महायज्ञ का सोमवार सुबह से दोपहर तक जारी पूणार्हूति हवन के साथ स्वाहा-स्वाहा की गूंज से महामायादेवी मंदिर प्रांगण सरोबार था। आवाहित देवी देवताओं के मंत्रों से हवन आहुति के बाद पूणार्हुति, महाहुति, वसोधार्रा, सहस्रधारा, यज्ञान्तस्नान, गोदान, तर्पण, कन्या – बटुक पूजन व भोजन, ब्राह्मण भोजन के बाद महाप्रसाद वितरण आदि के साथ ही यह 9 दिवसीय महायज्ञ संपन्न कराने वाले प्रधानाचार्य सहित 61 विद्वानो को ससम्मान विदाई दी गई। भारी संख्या में पहुंचे श्रद्दालुओं ने यज्ञ में आहुति डालने के साथ फेरी भी लगाई।

यज्ञाचार्य ने बताया कि हवन-यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है। दुगुर्णों की बजाय सद्गुणो के द्वार खुलते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। दुर्लभ संयोग के बाद इस प्रकार के महायज्ञ का आयोजन होता है।

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