छत्तीसगढ़

स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें आखिर कब लागू होगी – मरकाम

रायपुर
केन्द्रीय बजट प्रस्तुत किये जाने की पूर्व संध्या पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने केन्द्र की भाजपा सरकार पर तंज कसते हुये कहा है कि हकीकत से बेखबर है मोदी सरकार। लुटता मजदूर किसान है, गिरता निर्यात है, चौपट व्यापार है। प्रशासनिक दिवालियापन के चलते मोदी सरकार की सोच व दृष्टि शून्य है। देश की प्रगति को मोदी सरकार में मंदी का ग्रहण लग गया है।

 मोदी सरकार को अगले साल तक किसान की आय दुगुनी कर दिखाना है। मोदी सरकार में शिक्षा, किसान और नौजवानों की लगातार उपेक्षा हो रही है। किसान की आय दुगुनी करने के लिये सिर्फ 2 साल बचे हैं। अगले साल ही इनको किसान की आय दुगुनी करके दिखाना है। नोटबंदी, जीएसटी और मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण पहली बार घरेलू मांग कम होने की वजह से आर्थिक स्थिति बिगड़ी है। मंदी आयी है। शिक्षा महंगी हुई है। शिक्षण संस्थानों में फीस बढ़ती जा रही है। स्कॉलरशिप में लगातार कटौती की जा रही है। अनुसूचित जाति के लोगो की अनदेखी की जा रही है। वादा था 2 करोड़ रोजगार देने का, 10 करोड़ नौकरियां मिलनी थी 5 साल में। हो गया उल्टा। 5 साल में 3.64 करोड़ बेरोजगार हुये। लगी लगायी नौकरियाँ जाने लगी है। केन्द्र के विभागों में लगभग 7 लाख पद रिक्त पड़े हुये हैं पर मोदी सरकार को केवल 15-20 पूंजीपतियों की चिंता है। मोदी सरकार में महिला वित्त मंत्री होने के बावजूद ही महिला सशक्तिकरण भी कोरा झूठ बनकर रह गया है।

मरकाम ने कहा है कि स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें आखिर कब लागू होगी? बेहतर होता कि बजट पेश करने के पहले मोदी सरकार 2014 और 2019 के घोषणा पत्र जरूर पढ़ लें। मोदी सरकार को अगले साल तक किसान की आय दुगुनी कर दिखाना है। देश में मोदी सरकार की गलत नीतियों के चलते खेती, किसान, फुड प्रोसेसिंग, गांव, पंचायतीराज, समाज कल्याण, छात्र युवा, महिला, शिक्षा और स्वास्थ्य, अल्पसंख्यक सभी बदहाल है। कृषि में 49 प्रतिशत, किसान निधी में 57.6 प्रतिशत, फुड प्रोसेसिंग में 43 प्रतिशत, पंचायती राज में 49 प्रतिशत, बजट की राशि खर्च ही नहीं की गयी। लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा तो दूर एमएसपी तय करने में श्रम का लागत मूल्य ही नहीं जोड़ा गया। खेती बजट का खर्च नहीं, फसल बीमा का मुआवजा नहीं निजी बीमा कंपनियों से मिलकर किसानों को बीमा के नाप लूटा गया। 6-8 करोड़ किसानों को किसान सम्मान निधी नहीं, 75 प्रतिशत किसानों को राशि नियमित नहीं दी जा रही है।

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