छत्तीसगढ़

सुदूर वनांचल में ‘लिंगोदेव पथ‘ से मिलेगी विकास को नई राह : नवनिर्मित सड़क से क्षेत्र के आदिवासी जुड़ेंगे मुख्य मार्ग से

रायपुर
राज्य शासन के अथक प्रयासों का यह परिणाम है कि कोण्डागांव का वह सुदूर क्षेत्र जो अब तक पहॅुचविहीन होने के कारण मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहा, ‘लिंगोदेव पथ‘ के निर्मित होने से अब यहां शासन की पहुंच आसान हो गयी है। यह मार्ग आगामी वर्षों में क्षेत्र की रुपरेखा में परिवर्तन के साथ ही जिले के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सुदृढ़ता का मार्ग प्रशस्त करेगा।

    मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की दृढ़ इच्छाशक्ति एवं पंक्ति पर खड़े अंतिम व्यक्ति तक शासन की योजनाओं का लाभ पहुंचाने की दूरगामी सोच की ही परिणिति है, कि अब तक जो क्षेत्र घोर नक्सल प्रभावित एवं दुर्गम माना जाता रहा है, वहां सड़क निर्माण से विकास की नई आस जागृत हुई है।

    जिले के अत्यंत सुदूर ग्रामों की तकदीर और तस्वीर बदलने के लिए मर्दापाल से लेकर खालेमुरवेण्ड तक बनाई गई 150 किलोमीटर की दूरी वाले इस सड़क का नाम ‘लिंगोदेव पथ‘ दिया गया है। सड़क के लोकार्पण के लिए ‘पुनांग हर्रि त पंडुम‘ महोत्सव का भी आयोजन किया गया, जिसका स्थानीय भाषा में अर्थ होता है – नवनिर्मित मार्ग का लोकार्पण महोत्सव। ‘पुनांग हर्रि त पंडुम‘ महोत्सव का उद्देश्य भी लोगोें में यह विश्वास जगाना है कि शासन प्रत्येक स्तर पर योजनाओं की पहुंच बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

    मार्ग के लोकार्पण महोत्सव में जिला प्रशासन द्वारा विशाल बाईक रैली का भी आयोजन किया गया और ग्रामीणों द्वारा रैली के स्वागत में स्वागत द्वारों का निर्माण तथा सड़क पर स्वागत एवं मंगल संदेश भी लिखे गए। यह मार्ग आने वाले समय में जिले की अर्थव्यवस्था को नई राह देने के साथ ही गांवों के चहुंमुखी विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।

    इस मार्ग पर अतिरमणीय लिमदरिहा, पावड़ा, हटारकसा, मिरदे, मुत्तेखेड़ा जैसे हरे-भरे वन पहाड़ियों से घिरे एक से बढ़कर एक जलप्रपातों की श्रंृखलाएं हैं। साथ ही ऐतिहासिक महत्व के विभिन्न स्थल जैसे पावड़ा शिव मंदिर, भोंगापाल सातरानियां मंदिर, भोंगापाल बौद्ध चैत्य गृह और चिंगनार बुुढ़ादेव मंदिर भी स्थित हैं। भोंगापाल का प्राचीन बौद्ध चैत्य गृह जिसे स्थानीय लोग ‘डोडा मुरिंदा‘ के नाम से संबोधित करते हैं, जनश्रुति के अनुसार यह बौद्ध प्रार्थना स्थल हुआ करते थे। यह मार्ग क्षेत्र के सांस्कृतिक वैभव एवं विरासत को भी पर्यटन के रुप में नया आयाम देगा।

    कोण्डागांव का यह क्षेत्र मक्का एवं अन्य औषधीय वनोपजों की प्रचुरता के लिए जाना जाता है। यह नवनिर्मित मार्ग इन फसलों की बाजार तक पहुंच आसान बनाकर क्षेत्रवासियों को आर्थिक सुदृढ़ता भी प्रदान करने में सहायक हो रहा है। ‘लिंगोदेव पथ‘ के निर्माण के साथ ही बुनियादी सुविधाएं जैसे स्कूल एवं अस्पताल, शासन एवं प्रशासन की पहुंच, बिजली एवं पानी की सुगम व्यवस्था का लाभ अब तक इन सुविधाओं से वंचित आदिम जन-जातियों को मिलने लगेगा। यह मार्ग दंतेवाड़ा को लिंगोदेव पथ से होते हुए सीधे कांकेर के साथ ही राज्य की राजधानी से भी जोड़ेगा।  

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