गुवाहाटी
असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को स्पष्ट किया कि नागिरकता संशोधन ऐक्ट के तहत नागरिकता के लिए धार्मिक उत्पीड़न क्राइटेरिया नहीं है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति यह कैसे प्रमाणित कर सकता है कि उसके साथ धार्मिक आधार पर उत्पीड़न हुआ है। उन्होंने कहा कि धार्मिक प्रताड़ना की अवधारणा को साबित करना संभव ही नहीं है।
सरमा ने कहा कि सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने के तीन मापदंड हैं। इनमें से पहला है कि आवेदक हिंदू, जैन, पारसी, ईसाई, सिख या बौद्ध हो। दूसरा, आवेदक मूल रूप से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान का रहने वाला हो और तीसरा यह कि उसके पास 31 दिसंबर 2014 के पहले से भारत में रहने का प्रूफ हो। उन्होंने कहा कि इसके अलावा धार्मिक उत्पीड़न नागरिकता के लिए कोई मापदंड नहीं है।
नहीं साबित कर सकते धार्मिक उत्पीड़नः सरमा
सरमा ने कारण बताते हुए कहा कि कोई भी यह कैसे प्रमाणित कर सकता है कि उसके साथ धार्मिक प्रताड़ना हुई है। यह संभव ही नहीं है। इसके लिए उसे बांग्लादेश जाना होगा और पुलिस से उत्पीड़न का सर्टिफिकेट लेना होगा लेकिन कोई भी देश यह मानने को कैसे तैयार होगा कि उसके यहां धार्मिक आधार पर उत्पीड़न होता है। सरमा ने कहा, 'इसलिए मैंने कहा कि धार्मिक उत्पीड़न को साबित करने की अवधारणा संभव ही नहीं है।'