वर्ल्ड मेन्स डे के अवसर पर हर पुरुष को अपने आप से यह सवाल जरूर पूछना चाहिए कि आखिर उनकी प्रायॉरिटी लिस्ट में हेल्थ कौन-से नंबर पर आती है? सवाल अजीब लग सकता है लेकिन कई स्टडीज में यह बात साबित हो चुकी है कि पुरुषों की औसत आयु महिलाओं से कम होती है और इसका मुख्य कारण कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं, जिनका शिकार आमतौर पर पुरुष ही होते हैं…
गंजेपन की समस्या
हालांकि टूटते-झड़ते बालों से महिलाएं ज्यादा परेशान रहती हैं लेकिन गंजेपन की समस्या पुरुषों में ही अधिक होती है। इसका कारण मेल हॉर्मोन्स को माना जाता है। खासतौर पर टेस्टोस्टेरोन हार्मोन इसके लिए जिम्मेदार होता है।
यह है सिर्फ पुरुषों की बीमारी
प्रोस्टेट ग्लैंड पुरुषों के प्रजनन तंत्र की एक एग्जोक्राइन ग्लैंड है। यह ग्लैंड ब्लैडर के नीचे और रेक्टम के सामने की तरफ स्थित होती है। इस ग्लैंड की कोशिकाओं में पनपनेवाला कैंसर शुरुआत में पुरुषों के यूरिन सिस्टम को डिस्टर्ब करता है। इसके साथ ही चेस्ट और स्पानइ में दर्द का कारण बनता है। अगर शुरुआत में ही इस बीमारी का पता चल जाए तो मरीज के जीवित रहने के चांसेज 50 प्रतिशत तक होते हैं। जबकि बढ़ने के बाद अगर यह बीमारी पकड़ में आए तो यह संभावना 5 प्रतिशत तक ही रह जाती है।
फेफड़ों का कैंसर
फेफड़ों का कैंसर भी आमतौर पर पुरुषों में अधिक होता है, इसका कारण यह है कि महिलाओं की तुलना में धूम्रपान करनेवाले और तंबाकू का सेवन करनेवालों पुरुषों की संख्या अधिक होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, कैंसर से मरनेवाले पुरुषों की संख्या में सबसे अधिक लोग फेफड़ों के कैंसर के कारण काल के गाल में समा जाते हैं। इसके प्रारंभिक लक्षणों में सांस फूलना, खांसी में खून आना, कमजोरी और थकान बने रहने जैसे लक्षण शामिल हैं।
कार्डियोवस्कुलर बीमारियां
हार्ट से संबंधित बीमारियां और स्ट्रोक पुरुषों में मृत्यु के बड़े कारणों में से एक हैं। कार्डियोवस्कुलर बीमारियों में हार्ट की वेन्स ब्लॉक हो जाती हैं, जिससे हार्ट अटैक होने का खतरा बढ़ जाता है। आंकड़ों के अनुसार, मृत्यु का शिकार हुआ हर पांच में से एक पुरुष इस बीमारी से मरता है। जबकि महिलाएं इस बीमारी का शिकार कम होती हैं। इसका कारण है कि उनकी बॉडी में अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) की मात्रा प्राकृतिक रूप से अधिक होती है। साथ ही महिलाओं में फीमेल हार्मोन एस्ट्रोजन भी हृदय रोगों से महिलाओं का बचाव करता है। पुरुषों को इससे बचने के लिए 25 साल की उम्र के बाद ही सतर्कता बरतनी शुरू कर देनी चाहिए।
सीजोफ्रेनिया
सीजोफ्रेनिया दिमाग की एक बीमारी है, जिसकी कई अलग-अलग स्टेज होती हैं। इनमें डेल्यूजन ऑफ इनफेडिलिटी यानी बेवफाई का भ्रम और डेल्यूजन ऑफ पर्सिक्यूशन यानी उत्पीड़न का भ्रम जैसी मानसिक बीमारियां ज्यादातर पुरुषों को ही अपना शिकार बनाती हैं।